बिलासपुर। झीरम घाटी मामले में जितेन्द्र मुदलियार द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर की जांच करने की राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अपील को एनआईए कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ही इस मामले की जांच करेगी।

25 मई 2013 को नक्सलियों ने जिन 30 लोगों की हत्या की थी उनमें तत्कालीन पूर्व विधायक उदय मुदलियार भी शामिल थे। उनके बेटे जितेन्द्र मुदलियार ने मई 2020 में दरभा थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें इसकी जांच की मांग की गई थी। एफआईआर दर्ज होने के बाद एनआईए के एसपी अमित दुबे ने स्पेशल कोर्ट में आवेदन देकर मांग की थी कि चूंकि झीरम हमले की जांच एनआईए कर रही है इस एफआईआर की जांच की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी जाये। एक ही मामले में अलग से जांच की आवश्यकता नहीं है।

एनआईए स्पेशल कोर्ट के समक्ष जितेन्द्र मुदलियार की ओर से अतिरिक्त महाअधिवक्ता देवेन्द्र प्रताप सिंह ने अपनी दलील में कहा कि एनआईए को इस जांच का अधिकार नहीं है। वह दो साल पहले एनआईए ने जांच के बाद इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दे दी थी। बाद में 30 आरोपियों के फरार होने की बात कहते हुए केस को फिर से ओपन किया गया है। यह घटना देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला है। इसके बावजूद एनआईए ने षड़यंत्र के पक्ष की जांच नहीं की है। सात साल बाद भी नक्सली हमले का उद्देश्य सामने लाने में एनआईए विफल रही है। झीरम मामले में धारा 302 के अलावा 120 बी के अंतर्गत भी जांच होनी चाहिये। एनआईए कोर्ट ने जितेन्द्र मुदलियार की दलीलों पर सहमति जताते हुए कहा कि उनके द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी।

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