बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ आज शाम ज्योतिपुर स्थित कब्रिस्तान में किया गया। इस मौके पर प्रदेश के अनेक मंत्री, विधायक, परिवार के सदस्य, सहित सैकड़ों समर्थक और शुभचिंतक उपस्थित थे।

जोगी की अंतिम यात्रा आज सुबह उनके निवास सागौन बंगले रायपुर से निकली जो शाम 6 बजे उनके गौरेला स्थित जोगी निवास पर पहुंच पाई। कोटा, रतनपुर, केंदा में जगह-जगह लोगों की भीड़ उनका अंतिम दर्शन के लिए सड़क पर इंतजार कर रही थी। कोटा में केडीपी स्कूल में उनका पार्थिव शरीर दर्शनार्थ रखा गया था। जगह जगह फूलों की वर्षा कर लोगों ने उन्हें विदाई दी। उनके साथ 100 से ऊपर गाड़ियों का काफिला भी चल रहा था। पैतृक ग्राम जोगीपुर में आज लोगों ने चूल्हा नहीं जलाया। सुबह से वे जोगी के अंतिम दर्शन के लिए घरों से बाहर निकलकर बैठे हुए थे। यहां पर अंतिम दर्शन के बाद शव-यात्रा शाम करीब 6 बजे गौरेला पहुंची। जोगी निवास पर रायपुर से आये विशप पादरियों ने बाइबिल से प्रार्थना की। यहां पर गौरेला, पेन्ड्रा, मरवाही, पसान तथा मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों से बड़ी तादात में लोग उनका अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। इसके पश्चात् ज्योतिपुर ग्रेवयार्ड में राजकीय सम्मान के साथ ईसाई धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार प्रार्थनाओं के बीच उन्हें दफनाया गया। शव को दफनाने के लिए जैसे ही क्रब पर उतारा गया पुत्र अमित जोगी फूट-फूट कर रो पड़े। वहां मौजूद पत्नी डॉ. रेणु जोगी और उनके परिजन सहित सभी की आंखें नम थीं।

अंतिम संस्कार में प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, खाद्य मंत्री अमरजीत सिंह भगत, नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर व शैलेष पांडेय सहित विभिन्न राजनैतिक दलों के अनेक नेता व जनप्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

रायपुर से जोगी की अंतिम यात्रा आज दोपहर बिलासपुर पहुंची थी। उनके शासकीय आवास मरवाही सदन में लोगों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पहुंचने की सूचना भी थी किन्तु वे नहीं आ सके। पहले उनके कोटा में और बाद में गौरेला में पहुंचने की सूचना मिलने पर जिला प्रशासन की ओर से तैयारी की गई थी।

बीते 9 मई को कार्डियेक अरेस्ट आने पर जोगी को रायपुर के नारायणा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां वे कोमा में रहते हुए लगातार 20 दिन तक मौत से संघर्ष करते रहे। कल दोपहर उनका निधन हो गया था।

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