बिलासपुर । सिम्स के म्यूकर माइकोसिस वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज का ऑपरेशन आज डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक किया। ब्लैक फंगस की इस मरीज को न तो प्रारंभिक जांच में कोरोना का पता चला था, न ही इसे शुगर की बीमारी है न ही इसने स्ट्राइड की दवायें ही ली हैं। कोरोना से बचाव के लिये उन्होंने घर में ही सामान्य दवायें लीं। इसके बावजूद यह ब्लैंक फंगस की शिकार हो गईं।

पेंड्रा निवासी संजय पांडे की पत्नी सीमा पांडे को सिम्स चिकित्सालय के म्यूकर माइकोसिस वार्ड में 17 मई को भर्ती कराया गया था। उसे 15 दिन पहले दांत के ऊपरी भाग तथा जबड़े में दर्द की शिकायत थी। 25 अप्रैल को उसमें कोविड के लक्षण दिखे। जांच कराने पर उनके परिवार की रिपोर्ट पॉजिटिव आई लेकिन सीमा पांडे की रिपोर्ट नेगेटिव थी। फिर उसकी छाती का सीटी स्कैन कराने पर कोरोना के लक्षण मिल सके। मानक दवाएं घर में शुरू की गई। मरीज को शुगर की बीमारी नहीं है, न ही उन्होंने स्ट्राइड ली लेकिन एक मई के आसपास उनके दांत व चेहरे में दाएं तरफ दर्द शुरू हुआ। पहले उन्हें बिलासपुर के प्राइवेट अस्पताल में दिखाया गया, जहां उनकी माइनर एमआरआई की गई। आगे के इलाज के लिए उनको सिम्स रेफर किया गया। 17 मई को सिम्स में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों की विशेष टीम ने मरीज की पूरी जांच पड़ताल की। इसके बाद आज 20 मई को ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। सीमा पांडे का आरटीपीसीआर कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई लेकिन बीमारी को गंभीरता को देखते हुए तत्काल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। ऑपरेशन के बाद मरीज को आगे की दवाइयां दी जा रही है उसका स्वास्थ्य स्थिर है। सिम्स में ब्लैक फंगस के मरीज का यह पहला ऑपरेशन है।

आप्रेशन में ईएनटी विभाग की डॉ. आरती पांडे के नेतृत्व में डॉ. विद्याभूषण साहू, डॉ. श्वेता मित्तल, डॉ. प्रतीक अग्रवाल. डॉ. चंचल लहरी, निश्चेतना विभाग के डॉ राकेश निगम व  डॉ. प्रकाश पैकरा ने इस ऑपरेशन में भाग लिया। इसके अलावा नर्सिंग स्टाफ ऋतु रावत व अजीता भी टीम में शामिल थीं। डॉ. पांडे ने कहा कि सिम्स की डीन डॉ. तृप्ति नागरिया के मार्गदर्शन में यह उपलब्धि हासिल हो सकी।

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