संरक्षण, संवर्धन और पुनर्जीवन की जिम्मेदारी उठायेंगे, वन अधिकार समिति की बैठक में लिया गया निर्णय

बिलासपुर। गांधी जयंती के मौके पर कल  5 हजार 332 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि में वन संसाधन विकसित करने के लिये ग्राम पंचायतों को अधिकार मिलने जा रहा है। साथ ही वनों के संरक्षण और संवर्धन की जवाबदारी भी उन्हें दी जाएगी।

अनुसूचित जाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम के अंतर्गत बनी जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक मंथन सभाकक्ष में  आज कलेक्टर डॉ.सारांश मित्तर की अध्यक्षता में रखी गई। बैठक में सामुदायिक वन संसाधन दावा के 17 प्रकरणों का अनुमोदन किया गया। गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर को 17 ग्राम पंचायतों को सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण, संवर्धन और इसके पुनर्जीवन के हक के साथ-साथ जवाबदारी भी मिलेगी।

बैठक में कोटा अनुभाग अंतर्गत 4648.034 हेक्टेयर रकबे पर सामुदायिक वन संसाधन दावों के 14 प्रकरणों की स्वीकृति हेतु अनुमोदन किया गया। इसी तरह अनुभाग बिलासपुर अंतर्गत 684.039 हेक्टेयर रकबे पर सामुदायिक वन संसाधन दावों के 3 प्रकरणों की स्वीकृति हेतु अनुमोदन समिति ने किया।

डीएफओ कुमार निशांत ने बताया कि जिले में पहली बार सामुदायिक वन संसाधन दावे स्वीकृत किये जा रहे हैं। पूर्व में ग्राम सभा द्वारा परंपरागत रूप से अपने ग्राम पंचायत के अधीन वन संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन किया जाता था। अब यह उनका अधिकार होगा। वन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों का शिकार एवं अवैध पेड़ कटाई रोकने की जवाबदारी भी संबंधित ग्राम पंचायत की होगी।

जिले के कोटा अनुभाग अंतर्गत ग्राम पंचायत कोनचरा, नवागांव सोन, बिटकुली, सल्का, लिटिया, मिट्ठू नवागांव, सक्तीबहरा, नागचुवा, मझगांव, बारीडीह, चपोरा, छतौना, परसापानी और सेमरिया तथा बिलासपुर अनुभाग अंतर्गत ग्राम पंचायत धौरामुड़ा, बिटकुली और लिमहा में सामुदायिक वन संसाधनों दावों का अनुमोदन किया गया।

बैठक में अतिरिक्त कलेक्टर बी.एस.उईके, मनोज केसरिया, एसडीएम देवेन्द्र पटेल सहित जिला पंचायत सदस्य मनीता कुमारी भानु, आनंद सिंह मरावी,  राहुल सोनवानी आदि उपस्थित थे।

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