मवेशियों को खुले में छोड़ देने से समस्या और गहराई

बिलासपुर । मस्तूरी विकासखंड के सोन-लोहर्सी गांव के गौशाला में हुई मवेशियों की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। जनपद पंचायत सीईओ ने अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस धारा 429 के तहत रपट दर्ज करा दी है वहीं विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी ने इसके लिए कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। मौत की घटना के बाद शेष मवेशियों को गौठान से बाहर कर दिया गया है, जिसके कारण खड़ी फसल को नुकसान हो रहा है।

मस्तूरी विकासखंड के ग्राम लोहर्सी में करीब 10 एकड़ भूमि में प्रदेश के मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुआ, घुरवा और बाड़ी के तहत गौठान बनाया गया है। इसमें प्रतिदिन 24 सौ मवेशियों को रखने की क्षमता है। गौठान का संचालन ग्राम पंचायत और वहां की जनभागीदारी समिति करती है। गुरुवार को इस गौठान के 15 मवेशियों की मौत हो गई यद्यपि स्थानीय ग्रामीण मरने वाले मवेशियों की संख्या 22 बता रहे हैं। मवेशियों की मौत की खबर सामने आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया जनपद पंचायत के सीईओ डी आर जोगी ने प्रारंभिक जांच के बाद पचपेड़ी थाना में मामले की शिकायत दर्ज की और पुलिस ने मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ शनिवार को आईपीसी की धारा 429 के तहत अपराध कायम किया है। यह धारा किसी भी पशु के वध करने या विकलांग करने पर लागू होती है। इसमें पांच वर्ष तक के कारावास और दंड का प्रावधान है।

आवारा और वृद्ध मवेशी थे, गौठान में नहीं रखना था- जिपं सीईओ

जिला पंचायत के सीईओ रितेश अग्रवाल का कहना है कि गौठान में 15 मवेशियों की ही मौत हुई है। मरने वाले सभी मवेशी गौठान में रखे जाने के लिए पंजीबद्ध नहीं थे। आसपास के गांवों से कुछ लोगों ने करीब 125 मवेशियों को वहां छोड़ दिया था। इनमें से ज्यादातर वृद्ध थे। गौठान में आवारा मवेशियों को नहीं रखा जाना था। गौठान में मवेशियों को केवल दिन में रखने की व्यवस्था है। सभी मवेशियों की मौत अकेले भूख की वजह से नहीं हुई बल्कि कुछ की मौत निमोनिया और कार्डियक अरेस्ट से भी हुई है। अग्रवाल के अनुसार एहतियातन आसपास के गाँव में गश्त कराई जा रही है ताकि लोग वृद्ध पशुओं को वहां लाकर न छोड़ें,  साथ ही गौठान समिति को भी पुनर्गठित कर व्यवस्था को सुचारू बनाने का कार्य चल रहा है।

पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. आर के सोनवड़े का कहना है कि सभी मवेशियों का पोस्टमार्टम कर उन्हें दफना दिया गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सभी मवेशियों की मौत भूख से हुई है। सभी पशु वृद्ध और आवारा थे, जिन्हें समीप के गांव वालों ने गौठान में छोड़ दिया था।

गौठान मौत की शाला बन रहे- डॉ. बांधी

इधर, मस्तूरी के भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री डॉ कृष्णमूर्ति बांधी ने गौठान को ‘मौत की शाला’ कहा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरूआ, घुरवा, बाड़ी शुरुआत में ही दम तोड़ चुका है। इसके लिए सरकार का कुप्रबंधन और चारे की समस्या जिम्मेदार है। सरकार गायों की मौत के आंकड़े छुपा रही है। डॉ. बांधी ने कहा कि जांजगीर के अमोरा बालोद, कवर्धा आदि में भी गौठानों की जांच कराई जाये तो मौत के चौंकाने वाले आंकड़े निकलेंगे। कांग्रेस सरकार के पास गौठानों को लेकर कोई योजना नहीं है। न चरवाहा न चारा, न शेड। जिस तरह से मृत गायों को दफनाने में लापरवाही बरती गई है उससे भी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

एसडीएम, सीईओ ने एक बार भी निरीक्षण नहीं किया

गौठानों में चारा, पानी, शेड और चरवाहे की व्यवस्था किया जाना है पर यहां कीचड़ में खुले में मवेशी रखे हुए थे। इनके लिए चारे की व्यवस्था भी नहीं थी। ग्रामीण बता रहे हैं कि गौठानों में पशुओं की देखभाल के लिए जरूरी सुविधाएं हैं या नहीं देखने के लिए जनपद के एसडीएम या सीईओ ने कभी दौरा नहीं किया। सारी जवाबदारी वे सरपंच और जनभागीदारी समिति पर डाल रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार बारिश के कारण गायों की ठंड और भूख की दोहरी मार से मौत हो गई। अब गौठानों में रखे गए मवेशियों को मौत की घटना के बाद खुले में छोड़ दिया गया है, जिससे उनकी मुसीबत और भी बढ़ गई है। खुले में घूम रहे गाय उनकी खड़ी फसल को रौंद रहे हैं। बारिश के बीच खेतों की रखवाली करने में उन्हें काफी मुश्किल हो रही है।

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