अनुसचित जनजाति आयोग अध्यक्ष नंदकुमार साय व केन्द्रीय राज्य मंत्री कुलस्ते भी शामिल हुए आदिवासी गौरव दिवस के कार्यक्रम में

बिलासपुर । बिरसा मुण्डा ने समाज के शोषित-पीड़ित लोगों को हमेशा मदद की और जागरूक करने का प्रयास किया। उन्होंने समाज को एक नई दिशा दी। राज्यपाल अनुसुईया उईके ने शनिवार को पेण्ड्रा में भगवान बिरसा मुंडा की 114वीं जयंती और आदिवासियों के मसीहा डॉ भंवर सिंह पोर्ते के 26वीं पुण्यतिथि पर आयोजित जनजाति गौरव दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

राज्यपाल उईके ने कहा कि आदिवासियों के कल्याण के लिये भारतीय संविधान में अनेक प्रावधान किये गये हैं। जनजाति समाज को अन्याय एवं अत्याचार से बचाने का सुरक्षा कवच राष्ट्रीय जनजाति आयोग है। इसके तहत आदिवासियों के कल्याण के लिये अनेक कार्य किए गए हैं। उन्होंने संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत राज्यपाल को दिए गए अधिकार को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 5वीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लोगों को किसी तरह का अन्याय या शोषण न हो, इसके प्रति विशेष ध्यान रखा जाएगा। प्रदेश में सुख-शांति बनी रहे और भाईचारे की भावना जागृत हो, इसी उद्देश्य को लेकर कार्य किया जाएगा। राज्यपाल ने स्व.डॉ.भंवर सिंह पोर्ते द्वारा समाज के उत्थान के लिये किए गए कार्यों का स्मरण किया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले क्षेत्र के विभूतियों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने कहा कि बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण सिंह और गुंडाधुर ने देश की आजादी के लिये अपना बलिदान दिया। उनसे हमें हमेशा प्रेरणा मिलती है। जनजातियों की प्रकृति पूजा से अवगत कराते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति को हमेशा स्वच्छ रखने का प्रयास करें। जनजातियों के जीवन स्तर सुधारने के लिये सरकार के साथ समाज के लोगों को भी प्रयास किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि डॉ. भंवर सिंह पोर्ते द्वारा समाज के विकास के लिये किए गए कार्यो से प्रेरणा लेकर उसे आगे बढ़ाएं।

केन्द्रीय इस्पात राज्य-मंत्री फगन सिंह कुलस्ते ने कहा कि डॉ.भंवर सिंह पोर्ते ने अपने राजनैतिक जीवन के साथ सामाजिक क्षेत्रों में कार्य किए। वे मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में विभिन्न पदों पर रहे। उन्हें जो जिम्मेदारी मिली, उसका बखूबी निर्वहन किया। कुलस्ते ने जनजातियों के गौरवशाली इतिहास की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिये सबका योगदान होना चाहिये। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के गिरीश कुबेर ने अपने संबोधन में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी विभूतियों के योगदानों का उल्लेख किया।

कार्यक्रम में अर्चना पोर्ते ने प्रतीक चिन्ह भेंट कर राज्यपाल को सम्मानित किया। कार्यक्रम में स्व.पोर्ते के परिवार के सदस्य एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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