बैंक खाते से राशि के गबन के अशिक्षित महिला के आरोप को गलत माना

बिलासपुर। झीरम घाटी हत्याकांड में शहीद हुए स्व. नंदकुमार पटेल के फॉलोगार्ड के माता-पिता और विधवा के बीच पेंशन की राशि को लेकर विवाद है। राज्य महिला आयोग ने इसके समाधान के लिए मुख्य सचिव व डीजीपी को पत्र लिखने की बात कही है।

आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य शशिकांता राठौर और अर्चना उपाध्याय ने आज सिंचाई विभाग के सभागार प्रार्थना भवन में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की। आज 30 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 11 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए।

एक महत्वपूर्ण प्रकरण आयोग के सामने आया जिसमें मई 2013 में हुए झीरम घाटी हमले में स्व. नंदकुमार पटेल के फॉलोगार्ड की मौत हो गई थी। मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को आईजी ऑफिस में सहायक उप-निरीक्षक पद पर नियुक्त किया गया। पत्नी को 38 लाख रुपये मिले साथ ही 20 हजार रुपये पेंशन स्वीकृत किए गए। शहीद की पत्नी ने सन् 2019 में अपने विभाग के एक क्लर्क से पुनर्विवाह कर लिया। शहीद के माता-पिता ने आयोग के समक्ष आवेदन दिया कि उन्हें अपने बेटे के पेंशन की राशि दी जाए। बेटे की मृत्यु के समय नॉमिनी के रूप में माता का ही नाम शामिल था लेकिन लोगों की समझाइश पर उन्होंने अपनी बहू को बाद में नॉमिनी तय कर दिया। अब उनके पास जीवन-यापन का कोई साधन नहीं है। अनावेदक शहीद की विधवा ने आयोग के समक्ष बताया कि उन्होंने एकमुश्त मिले 38 लाख रुपये में से 12 लाख रुपये सास-ससुर को दिए थे। अब वे मुझे नौकरी से हटाने और पेंशन को खुद के नाम पर करने के लिए शिकायत कर रहे हैं। आयोग की समझाइश के बाद दोनों पक्षों में सहमति बनी कि पेंशन की राशि मृतक जवान के माता-पिता को मिले और पत्नी की नौकरी को लेकर कोई शिकायत न करे। इस संबंध में आवश्यक प्रक्रिया विभाग की ओर से हो इसके लिए आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखने की बात कही। आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने कहा कि इस मामले का वे स्वयं व्यक्तिगत रूचि लेकर समाधान के लिए प्रयास करेगी।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वर्ष 2016 से वर्ष 2019 तक बैंक से अलग-अलग समय पर पर्ची में अंगूठा लगाकर पैसे निकाले थे। उस समय उसके खाते में पैसे बचे थे लेकिन बाद में खाते से पैसे कम हो गए। आवेदिका ने सरकंडा पुलिस थाने में आवेदन दिया। पुलिस की पूरी जांच के बाद यह पता चला कि सारे निकासी पर्ची में आवेदिका के अंगूठे का निशान है इसलिए किसी और का पैसा निकाला जाना साबित नहीं होता है। आवेदिका ने सीसीटीवी फुटेज से जांच कराने की बात की। अनावेदक ने बताया कि 6 माह से पुराना सीसीटीवी का फुटेज का रिकार्ड नहीं है। इसलिए जांच संभव नहीं है। आयोग ने आवेदिका से कहा कि गवाह एवं दस्तावेज के बिना किसी पर आरोप लगाना गलत है। यदि साक्ष्य किसी के विरूद्ध है तो साक्ष्य के साथ आवेदन किया जा सकता है। साक्ष्य उपलब्ध हो तो पुनः शिकायत की जा सकती है। आयोग ने प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया।

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