अधिनियम में संशोधन को दी गई है चुनौती जिसके चलते मरवाही चुनाव नहीं लड़ पाये

बिलासपुर। जाति छानबीन समिति अधिनियम में राज्य सरकार द्वारा किये गये संशोधन के खिलाफ छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) के अध्यक्ष पूर्व विधायक अमित जोगी की याचिका पर कल 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। इस संशोधन के चलते अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया था, इस वजह से उनका आदिवासी सीट मरवाही विधानसभा उप-चुनाव में दाखिल नामांकन रद्द कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई है कि राज्य सरकार द्वारा सितम्बर महीने में किया गया संशोधन रद्द किया जाये, यह विधि विरुद्ध है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2013 में संशोधन किया था जिसके अंतर्गत जिला स्तरीय समिति के अधिकार को बढ़ा दिया गया। इस समिति के समक्ष संत कुमार नेताम ने आवेदन देकर कहा था कि चूंकि पिता की जाति से ही पुत्र की जाति का निर्धारण होता है और राज्य स्तरीय जाति छानबीन समिति ने अजीत जोगी का नामांकन रद्द कर दिया है। इस आधार पर अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र भी निरस्त कर दिया जाये। एडिशनल कलेक्टर जीपीएम की अध्यक्षता में गठित गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले की समिति ने नेताम के तर्कों का सही मानते हुए राज्य समिति को अपना निष्कर्ष प्रेषित कर दिया था। इस समिति के समक्ष अलग-अलग कारणों से जवाब देने के लिये अमित जोगी उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया। इस प्रमाण पत्र के साथ अमित जोगी ने मरवाही उप-चुनाव में नामांकन दाखिल किया था। स्क्रूटनी के दौरान कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की ओर से अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किये जाने का आदेश सौंपा गया। इसे स्वीकार करते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी डोमन सिंह ने उनका नामांकन निरस्त कर दिया। इससे पहले मुंगेली की जिला स्तरीय जाति छानबीन समिति ने अमित जोगी की पत्नी डॉ. ऋचा जोगी का प्रमाण पत्र निलम्बित कर दिया था। उन्होंने ऋचा जोगी द्वारा प्रस्तुत कई दस्तावेजों को संदिग्ध मानकर यह निर्णय लिया। यह जांच भी संत कुमार नेताम की शिकायत के आधार पर हुई थी। जाति प्रमाण पत्र निलम्बित होने के आधार पर स्क्रूटनी के दौरान उनका भी नामांकन रद्द कर दिया गया।

स्व. अजीत जोगी व अमित जोगी के आदिवासी नहीं होने के पक्ष में कई तर्क देते हुए अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय, भाजपा नेत्री समीरा पैकरा व आदिवासी महासभा के अध्यक्ष संत कुमार नेताम ने हाईकोर्ट में लम्बी लड़ाई लड़ी है। हाईकोर्ट में प्रकरण लम्बित होने के कारण स्व. अजीत जोगी ने 2018 में मरवाही चुनाव लड़ा। इसके पहले इसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अमित जोगी ने 2013 में मरवाही चुनाव लड़कर वहां का प्रतिनिधित्व किया। भाजपा नेत्री समीरा पैकरा ने तब अमित जोगी के विरुद्ध चुनाव लड़ा था जिन्होंने उनके जाति प्रमाण पत्र के अलावा जन्म प्रमाण पत्र को भी चुनौती दे रखी है। सुनवाई हाईकोर्ट में लम्बित है।

पूर्व विधायक अमित जोगी का मानना है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2013 में संशोधन सिर्फ उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के लिये किया गया। अमित जोगी, ऋचा जोगी व छजकां के दो अन्य संभावित उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने के बाद उन्होंने व विधायक डॉ. रेणु जोगी ने मरवाही में न्याय-यात्रा भी निकाली। इस पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने रोक लगा दी। मतदान के तीन दिन पहले छजकां विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बीच चर्चा हुई और छजकां ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. गंभीर सिंह को समर्थन देने की घोषणा की। भाजपा यहां से 38 हजार मतों से परास्त हुई है। अमित जोगी ने इसे प्रतिद्वन्दियों को बाहर कर लड़ी गई कांग्रेस की अकेले लड़ी गई लड़ाई बताया है।

पूर्व विधायक व छजकां नेता अमित जोगी ने अक्टूबर माह में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार का नियम में संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समता से या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जा सकता।

पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मानिक राव खानविलकर, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की बेंच इस मामले को कल सुनेगी। पूर्व महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा समीरा पैकरा की ओर से तथा संदीप श्रीवास्तव, संत कुमार नेताम की ओर से पैरवी कर सकते हैं।

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