वेतन नहीं मिलने और शर्तें घोषित नहीं करने का आरोप, पहले से ही सिम्स के अनेक डॉक्टर क्वारांटीन

बिलासपुर। कोरोना संकट के बीच सिम्स चिकित्सालय के 60 जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार की शाम अपना इस्तीफा डीन को सौंप दिया है। रायपुर तथा रायगढ़ के भी करीब 60 जूनियर डॉक्टरों द्वारा अपना इस्तीफा वहां के डीन को सौंपे जाने की जानकारी मिली है। इन्होंने अपने इस्तीफे की वजह दो माह से वेतन नहीं दिये जाने व कोरोना वार्ड में दी जा रही उनकी सेवाओं को ग्रामीण सेवाओं में जोड़ने का आश्वासन नहीं मिलने को बताया है।

कोरोना संक्रमण में फैलाव के कारण एक ओर स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक और अन्य स्टाफ की जरूरत बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर आज सिम्स के 60 डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के कारण सिम्स में स्वास्थ्य सेवा के बुरी तरह लड़खड़ाने की आशंका है क्योंकि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए 10 डॉक्टरों सहित नर्स, वार्ड ब्वाय और आया सहित कुल 40 लोगों को क्वारांटीन पर भेज दिया गया है। इन जूनियर डॉक्टरों को इंटर्नशिप के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य सेवा के लिये भेजा जाना था लेकिन इसी बीच कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे। इसके बाद राज्य शासन ने इनकी सेवाओं को कोरोना से बचाव के लिए चिकित्सा महाविद्यालयों में लेने तथा जूनियर डॉक्टर के रूप में नियुक्ति देने का निर्णय लिया। दो माह से ये  डॉक्टर विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब तक इन्हें वेतन नहीं मिला है। जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि उनकी कोरोना ड्यूटी को अनिवार्य ग्रामीण सेवा अवधि में जोड़ा जाये लेकिन उस मांग पर भी फैसला नहीं लिया गया है। बताया जाता है कि इनके वेतन का भुगतान किस विभाग से हो इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। यह स्वास्थ्य विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच तय होना है। इनका वेतन क्या होगा यह भी अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है।

जूनियर डॉक्टर हो चुकी हैं संक्रमित

सिम्स चिकित्सालय के एक अधिकारी के अनुसार हो सकता है कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा देने का रास्ता चुना हो क्योंकि इन्हें ही वार्ड में सबसे आगे रहकर मरीजों की देखभाल करनी होती है। सिम्स में एक जूनियर डॉक्टर के कोरोना संक्रमित होने के बाद ये डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित भी हो सकते हैं। वेतन निर्धारण तथा भुगतान और ग्रामीण सेवा में उनकी सेवा अवधि को शामिल करने का मुद्दा हल किया जा सकता है, क्योंकि राज्य सरकार ने खुद पहल करके इन्हें नियुक्ति दी है।

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