बिलासपुर। पांच हजार करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल होने के आरोपी आबकारी विभाग के पूर्व संविदा ओएसडी समुद्र सिंह की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। इसके पहले रायपुर के भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में उसकी याचिका खारिज की जा चुकी है।

आरोपी समुद्र सिंह ने पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में नौ साल तक विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में कार्य किया था। उन्हें आबकारी आयुक्त पद से सेवानिवृत्त होने के बाद बार-बार संविदा नियुक्ति दी गई अथवा कार्यकाल बढ़ाया गया। रायपुर के कांग्रेस नेता नितिन भंसाली द्वारा 116 पन्नों में की गई शिकायत पर उसके विरुद्ध जांच शुरू की गई थी, जिसमें पाया गया था कि शराब निर्माता कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने शासन को करीब पांच हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया। इन निर्माताओं को शराब के टैक्स में बड़े पैमाने पर अतिरिक्त छूट दी गई। नीतियां कुछ ऐसी बनाई गई कि शराब निर्माताओं को ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सके। उनका प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाया गया। निम्न श्रेणी की शराब को आईएमएल केटेगरी में रख दिया गया। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

इसी साल आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो ने समुद्र सिंह के खिलाफ जांच शुरू की। बीते 26 अप्रैल को छापेमारी शुरू की गई तो वे अपने छत्तीसगढ़ के ठिकानों से फरार भी मिले। ईओडब्ल्यू और एसीबी के छापों में समुद्र सिंह के ठिकानों से 20 से ज्यादा मकान, बंगलों के दस्तावेज मिले। इसके अलावा अनूपपुर में 70 एकड़ का फार्म हाउस, पेट्रोल पम्प और नगद राशि बरामद की गई थी। शिमला, नोएडा सहित देश के कई शहरों में समुद्र सिंह के नौकरों के नाम पर सौ करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी सम्पत्ति के दस्तावेज भी जांच दल को हाथ लगे थे। मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के अलावा दक्षिण के कुछ राज्यों में भी उनकी खरीदी सम्पत्ति के बारे में पता चला। समुद्र सिंह ने कार, डम्पर, ट्रक आदि भी दूसरों के नाम पर खरीदे।

निचली अदालत में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद समुद्र सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस आर.सी.एस. सामंत की कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला देते हुए मंगलवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। शासन की ओर से उप-महाधिवक्ता देवेन्द्र प्रताप सिंह ने पक्ष रखा।

 

 

 

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