तीन दिन के भीतर प्रक्रिया पूरी करने का पिछली सुनवाई में दिया था निर्देश, एक सप्ताह बाद भी नहीं मिला ठोस जवाब 

बिलासपुर। कोरोना संक्रमण की जांच के लिए बिलासपुर में टेस्टिंग लैब स्थापित करने के लिए बीते 13 अप्रैल को दिये गये आदेश को गंभीरता से नहीं लेने को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है और राज्य तथा केन्द्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए आज सोमवार को ही बैठक करने और कल मंगलवार तक जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

मालूम हो कि हाईकोर्ट सहित प्रदेश के सभी न्यायालयों में नियमित कामकाज बंद है। इस समय वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई ही चल रही है। कोरोना संक्रमण से जुड़े तबलीगी जमात और स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दे, लॉकडाउन के कारण मजदूरों और गरीब वर्ग को राहत पहुंचाने तथा पुलिस द्वारा लॉकडाउन के दौरान आम लोगों की पिटाई करने के मुद्दे पर हाईकोर्ट में पांच याचिकाएं ऑनलाइन फाइल की गई थीं, जिन पर 13 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। इनसे जुड़े कुछ मुद्दों पर अगली सुनवाई की तारीख 17 अप्रैल तय की गई थी जिसे केन्द्र सरकार द्वारा गोपनीयता उल्लंघन की आशंका को देखते हुए जूम एप का सरकारी वीडियो कांफ्रेंस में इस्तेमाल नहीं करने की एडवाइजरी जारी करने के कारण स्थगित कर दिया गया था। आज हाईकोर्ट में वीड्यो एप के माध्यम से आभासी कांफ्रेंस कर मुकदमों की सुनवाई की गई।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य शासन को बिलासपुर में कोरोना टेस्टिंग लैब की कार्रवाई तीन दिन के भीतर पूरी करने और केन्द्र सरकार को अगले तीन दिन के भीतर सभी क्लीयरेंस देने का निर्देश दिया था। आज शासन की ओर से यह बताया गया कि लैब स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। शासन द्वारा पर्याप्त कार्रवाई नहीं किये जाने को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि उसने स्वतः संज्ञान लेकर कोरोना टेस्टिंग लैब बिलासपुर में स्थापित करने का निर्देश दिया था पर विश्वव्यापी महामारी से सम्बन्धित मुद्दे पर सरकार की यह धीमी कार्रवाई अफसोसजनक है। इस मुद्दे पर शासन ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस गौतम भादुड़ी ने इस पर सख्त ऐतराज जताते हुए आज ही प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को एम्स के डायरेक्टर के साथ मीटिंग (वर्चुअल) कर मंगलवार को कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करने कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब कल 21 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से होगी।

ज्ञात हो कि हाईकोर्ट के ध्यान में पिछली सुनवाई के दौरान यह ध्यान में लाया गया था कि कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए प्रदेश में केवल रायपुर और जगदलपुर में टेस्ट लैब है जबकि छत्तीसगढ़ के आधे हिस्से जिसमें बिलासपुर, रायगढ़, सरगुजा संभाग आते हैं वहां इसकी कोई व्यवस्था नहीं है, जिनसे टेस्ट रिपोर्ट मिलने में देर होती है जिसका असर मरीजों के उपचार में भी पड़ता है।

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