मरवाही उप-चुनाव प्रचंड बहुमत से जीतने का दावा, कहा- नेताम ने टिकट मांगने में देर की

बिलासपुर। मरवाही में कांग्रेस की कमान संभालने वाले और गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल का कहना है कि जोगी की पार्टी और उनके परिवार का राजनीतिक अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो चुका है।

उच्च विश्राम गृह में आज शाम पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा आप देख ही चुके हैं कि उनके चार में से दो विधायक और मरवाही के उनके 90% कार्यकर्ता और पदाधिकारी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आ गए हैं। जब मरवाही में कोई अस्तित्व नहीं रहा तो बाकी जगह क्या होगा। वे मरवाही के नाम पर ही जाने जाते थे।

जोगी की जाति की लड़ाई लड़कर कांग्रेस को साथ देने के बावजूद संत कुमार नेताम को मरवाही से टिकट नहीं देने की वजह पूछे जाने पर  अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने दावेदारी करने में देर की। जब प्रत्याशियों के नाम पर विचार होने लगा था, तब उनका आवेदन सामने नहीं आया। हो सकता है कि समय पर दावेदारी करते तो उनके नाम पर अधिक गंभीरता से विचार किया जाता।

अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में डॉ. के के ध्रुव का चयन वहां की जनता की मांग पर किया गया है। वह लगभग 20 साल से वहां के लोगों की सेवा कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भी मांग थी कि उन्हें टिकट दी जाये।

क्या स्व. अजीत जोगी का रिकॉर्ड कांग्रेस तोड़ पायेगी, पूछे जाने पर जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि हम रिकॉर्ड तोड़ने के लिये नहीं जीतने के लिये लड़े। हम प्रचंड बहुमत से जीतेंगे, जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि 30-40 पुरानी जिला बनाने की मांग को सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरा किया। यह मांग जोगी जी और भाजपा की 15 साल चली सरकार ने भी पूरी नहीं की। जब मुख्यमंत्री ने जिले की घोषणा की तब वहां चुनाव होने जैसी कोई बात नहीं थी। खुद जोगी ने मंच से बघेल को गाड़ा-गाड़ा बधाई इस मांग को पूरा करने के लिये दी थी।

अग्रवाल ने कहा कि भाजपा की सरकार के रहते ही जोगी की जाति पर फैसला आ गया था। उस समय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी नंदकुमार साय ही थे। अब उनके नाम का मरवाही चुनाव में भाजपा ने केवल उनके वोट बैंक को हासिल करने के लिये किया। वे भाजपा की कम जोगी की तारीफ ज्यादा कर रहे थे लेकिन इसका कोई लाभ उनको नहीं मिलेगा।

उन्होंने इस बात से इंकार किया कि चुनाव मुश्किल होने के कारण 10 मंत्री और 50 विधायक वहां गये थे। दरअसल, उप चुनाव को लेकर सभी उत्साहित थे और एक बार जाना चाहते थे। सभी एक साथ वहां नहीं रहे, आते जाते रहे। उन्होंने याद दिलाया कि सन् 2006 में जब कोटा में उप-चुनाव हुआ तब भाजपा ने अनेक मंत्री विधायकों को वहां भेजा था। बाहरी कार्यकर्ताओं की ज्यादा मौजूदगी के बारे में उन्होंने कहा कि चूंकि अजीत जोगी की नई पार्टी बनने के बाद कांग्रेस के बहुत से कार्यकर्ता उनकी पार्टी में चले गये थे इसलिये पुराने जिले बिलासपुर से इसके अलावा कोरबा तथा प्रदेश के अलग-अलग स्थानों से कार्यकर्ता वहां कमान संभालने गये।

मुख्यमंत्री ढाई साल में बदले जाने की चर्चाओं को लेकर पूछे गये सवाल पर जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं आई है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण लम्बित राजस्व मामलों की समीक्षा की संभागीय बैठकें रुकी हुई थीं, अब फिर से ये बैठकें होंगीं।

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