बिलासपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने धर्मांतरण का जिक्र किये बिना कहा कि किसी को बदलने की चेष्टा मत करो, सभी का सम्मान करो और विविधता के साथ चलो। हमारे पूर्वजों ने अनेक देशों की यात्रा की पर उन्होंने अपनी पूजा पद्धति किसी के ऊपर नहीं थोपी।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक के तीन दिवसीय घोष वर्ग सम्मेलन के अंतिम दिन मदकूद्वीप पहुंचे भागवत ने कहा कि दुनिया के कई देशों का मानना है कि वे एक जैसे होंगे तो तब एकता आयेगी, विविधता में अलग हो जायेंगे। पर एक जैसा होने की हमें जरूरत नहीं है। हमारी कई भाषायें, प्रांत और जातियां हैं। यह सभी एक सुंदर और परिपूर्ण देश को बनाती है। सत्य ही इस देश का धर्म है। हमने पूरे विश्व को परिवार माना, विविधता का सम्मान किया,  यह सत्य दुनिया को दिया। दो हजार साल पहले चीन पर अपनी संस्कृति का प्रभाव हमने जमाया था। यह उनके लिये सुखद है, क्योंकि पूजा की अपनी पद्धति को हमने उन पर नहीं थोपा। हमारा सत्य विविधताओं से मिलकर बना है। यही हमें अच्छा मनुष्य बनाता है।

उन्होंने लोगों से अपने आपको पहचानने का आह्वान करते हुए एक किस्सा सुनाया जिसका सार यह था कि एक शेर का बच्चा गड़रियों के बीच रहकर बकरियों की तरह व्यवहार करने लगा था। एक दिन वह एक दूसरे शेर को देखकर डर गया। दूसरे शेर ने उसे तालाब में ले जाकर उसकी छवि दिखाई। तब उसे अपने ताकतवर होने का पता चला और दहाड़ लगाई।

मुंगेली जिले के बैतलपुर के पास स्थित मदकू द्वीप में आज सुबह पहुंचने पर भागवत ने हरिहर आश्रम में गणेश जी की पूजा की। उन्होंने पौधे भी लगाये। दोपहर में उन्होंने आरएसएस पदाधिकारियों की बैठक ली।

कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, सांसद अरुण साव, आरएसएस के रायपुर, बिलासपुर व मुंगेली जिले के पदाधिकारी व कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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