बिलासपुर। कोयला उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है और अधिकतर कोयला खदानें दूरदराज के क्षेत्र में स्थितहैं। ऐसे में कर्मियों का जीवन स्तर उत्कृष्ट होने से कार्य के प्रति समर्पण का भाव स्वमेव जागृत हो जाता है। इसी सोच के साथ एसईसीएल प्रबंधन ने अपने कर्मियों को खूबसूरत आधुनिक क्वार्टर की सुविधा डिसेन्ट हाउसिंग के तहत उपलब्ध कराने का निर्णय लिया और तीन सालों में 35 हजार से अधिक क्वार्टर्स का नवीनीकरण करा लिया गया।

डिसेन्ट हाउसिंग में वे क्वार्टर जो रखरखाव के अभाव में या तो बेकार हो चले थे या फिर बदसूरत व जर्जर हो गये थे उनको शामिल किया गया। एसईसीएल प्रबंधन अब उन क्वार्टरों की पूरी  तस्वीर ही बदल रहा है। इसके तहत डिजाइन को नये रंग और मार्डन अंदाज में बदल दिया गया है। ये प्रोजेक्ट 2016 से चल रहा है। एसईसीएल का लक्ष्य था कि चिन्हित किये गये सभी 42,036 मकानों का नवीनीकरण कर लिया जाये। इसमें से अब तक 35,043 क्वार्टर को नये सिरे से तैयार किया जा चुका है।

दरअसल 2016 में कोयला मंत्रालय ने कोल सेक्टर के अपने अधिकारियों व कर्मचारियों के आवासों के नवीनीकरण और मरम्मत का प्लान बनाया था। उसी के तहत ए-टाईप, बी-टाईप और माइनर्स क्वार्टर्स में एसईसीएल प्रबंधन द्वारा टॉयलेट्स और बाथरूम में टाइल्स, किचन में ग्रेनाइट्स, दरवाजों और खिड़कियों पर एल्युमिनियम फ्रेम एवं मास्किटो प्रूफ वायर जाली लगाने के साथ-साथ क्वार्टर में आवश्यक मरम्मत और रख-रखाव, जैसे दरवाजे के शटर को बदलना, फर्श की मरम्मत और सीलिंग को बदलने जैसे काम कराये जा रहे थे।

खास बात यह है कि एसईसीएल ने इस कार्य के लिए पूरी पादर्शिता बरती है। ’कोल इण्डिया टेण्डर्स डाट एनआई व सी डाट इन’ के जरिये टेंडर की प्रक्रिया पूरी की गयी और फिर 2016-17 से ये काम करवाया गया। प्रबंधन की तरफ से इस बात की कोशिश की गयी कि मरम्मत और नवीनीकरण के काम के दौरान सतत निगरानी रखी जाये ताकि कार्यमें उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। इसके लिए एसईसीएल मुख्यालय से गुणवत्ता नियंत्रण टीम भी वक्त-वक्तपरनिरीक्षण के लिए पहुंची। साथहीनिर्माण के प्रयोगमें लाये जा रहे सामानों की भी प्रयोगशाला जॉंच और क्षेत्र स्तरीय कल्याण समिति द्वारा भी निरीक्षण कराया गया।

कर्मचारियों से डिसेन्ट हाउसिंग के कार्य का फीडबैक लिया गया। इस फीड बैक में अब तक के हुए कामों और नवीनीकरण पर कर्मचारियों की अत्यधिक संतुष्टि पायी गयी। कर्मचारियों को इन आवासों में रहने में किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए कल्याण बोर्ड की तरफ से भी निरीक्षण कराया गया और निरीक्षण के बाद जो सुझाव आए उस पर अमल भी कराया गया। बाहरी स्वच्छता में सुधार लाने के लिए जिन कार्यों की आवश्यकता थी उसे भी कराया गया। एसईसीएल के समस्त क्षेत्रों के क्वार्टरों में रहने वाले कर्मचारियों ने अपने क्वार्टर के नवीनीकरण और बदलाव पर खुशी जतायी है।

लोगों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो इसके लिए भी एसईसीएल द्वारा खास व्यवस्था की गयी है। अलग-अलग जगहों पर 42 आरओ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाये गयेहैं। इन आरओ वाटर प्लांट से 1000 लीटर प्रति घंटे से पानी का शुद्धिकरण होता है। आरओ प्लांट के निर्माण के लिए प्रबंधन से स्वीकृति उपरांत अब तक 26 आरओ वाटर ट्रीटमेन्ट प्लांट के लिए कार्यादेश भी जारी किया जा चुका है। इस कार्यादेश में आरओ प्लांट का तीन साल का संचालन एवं रखरखाव सुनिश्चित किया गया है। ये सभी कार्य एसईसीएल कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ाने तथा कम्पनी के कोयला उत्पादन की वृद्धि में सहायक सिद्ध होंगे।

एसईसीएल के कार्मिक निदेशक डॉ. आर.एस. झा ने इस विषय में कहा कि-

“कोयला उत्पादन व प्रेषण के साथ-साथ अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सुविधाओं का भी ख्याल रखता है। कर्मियों का जीवन स्तर बेहतर होने से कार्य के प्रति समर्पण और लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा जागृत की जा सकती है। एसईसीएल के उत्पादन में बढ़ोत्तरी इस बात का स्पष्ट संकेत है।”

 

 

 

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