हाईकोर्ट में  सुनवाई- “टुटेजा, शुक्ला पर कार्रवाई सही, आईपीएस मुकेश गुप्ता पर भी हो”

बिलासपुर। हाईकोर्ट में नान घोटाले पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने एक चार्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि सन् 2011 से लेकर 2018 के बीच कुल धान की खरीद पांच करोड़ चालीस लाख टन हुई थी। इसमें से केवल 5 करोड़ 28 लाख टन धान ही मिलिंग के लिये राइस मिल पहुंचा। इसका मतलब यह है कि लगभग 12 लाख टन धान का कोई हिसाब किताब नहीं है और यह गायब है।

जस्टिस  पी सैम कोशी और जस्टिस पीपी साहू की स्पेशल बेंच में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता श्रीवास्तव ने आंकड़े दिखाते हुए बताया कि 1178473 मीट्रिक टन में से 1036325 मीट्रिक टन धान 2011-12 से 2014-15 के केवल 4 वर्षों में ही गायब हुई है। इसके विपरीत 2015-16 से 2018-19 के बीच गायब धान की मात्रा 142378 मीट्रिक टन रही। शासन इसे सूखत, सड़त आदि बताता है परन्तु पहले चार वर्ष और बाद के चार वर्षों में गायब धान की मात्रा में इतना अंतर नहीं हो सकता। इसकी वजह यह है कि 2015 में नान पर छापे पड़े और उसी समय से हाई कोर्ट में घोटाले पर याचिकाएं लम्बित हैं। साथ ही 2015 में ही सीएजी ने भी नान और मार्कफेड की जांच की। इन सबके चलते बाद के वर्षो में सावधानी बरती गई और धान की गायब मात्रा बहुत कम हो गई। 2011-12 से 2014-15 के बीच गायब 1036325 मीट्रिक टन धान की कीमत 15 हजार रुपये टन के हिसाब से 1545 करोड़ रुपये होती है। नान घोटाले में केवल 2014-15 की अवधि की जांच की गई है जबकि जांच सन् 2011-12 से होनी चाहिए। उन्होंने पक्ष रखा  कि पूर्व के एसीबी अधिकारी मुकेश गुप्ता समेत सभी ने अपराधियों को बचाने का प्रयास किया, अतः उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिये। इसके अलावा आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के दिशा निर्देश पर यह घोटाला चल रहा था, अतः उन पर की गई कार्रवाई उचित है। अधिवक्ता ने मांग की कि पूरी जांच को शून्य करने के बजाय केवल जिन लोगों को छोड़ दिया गया है उनके खिलाफ आगे जांच और कार्रवाई की जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

ज्ञात हो कि 36 हजार करोड़ रुपये के नान घोटाले के मामले में 13 दिसम्बर को बेंच के समक्ष आरोपी आईएएस अनिल टुटेजा के अधिवक्ता की ओर से इस मामले में की जांच में अब तक की गई कार्रवाई को रस्म अदायगी बताते हुए नये सिरे से जांच करने की मांग की थी।

नान घोटाले में हमर संगवारी, सुदीप श्रीवास्तव, वीरेन्द्र पांडेय की जनहित याचिकायें दायर हैं। इसमें आज सुदीप श्रीवास्तव की ओर से पक्ष रखा गया। इस जांच को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की एक याचिका भी लम्बित है। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

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