बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एससी-एसटी अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में शिकायत आने पर प्रारंभिक जांच के नाम पर एफआईआर की कार्रवाई नहीं रोकी जा सकती।
जांजगीर-चांपा जिले के एक सरपंच चंद्रशेखर मंझवार ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में एक आपराधिक रिट याचिका दायर की। उन्होंने इसमें बताया कि कोरबा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी गोपाल प्रसाद मिश्रा ने उन्हें जातिगत गालियां दी। इसकी शिकायत उन्होंने थाने में की। इस पर थाना प्रभारी ने एक प्रधान आरक्षक से मामले की प्रारंभिक जांच कराई और प्रमाण नहीं मिलने की बात कहते हुए सीईओ के खिलाफ शिकायत खारिज कर दी।
मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने पीड़ित को निर्देश दिया है कि वह सीआरपीसी की धारा 200 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज कराए। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को विधि सम्मत कार्रवाई का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि एसटी-एससी अधिनियम में किसी शिकायत की प्रारंभिक जांच का प्रावधान नहीं है। इसमें पुलिस को सीधे रिपोर्ट ही दर्ज करके कार्रवाई करनी है। अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई दृष्टांत हैं जिनमें इस विषय पर निर्णय दिया जा चुका है।

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