अभिमान रूपी धनुष टूटा उसके बाद सीता हुई राम को समर्पित-चिन्मयानंद

बिलासपुर। जगमल चौक पर चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन प्रवचनकार बापू चिन्मयानंद ने अपनी संगीतमय कथा से भगवान राम-सीता के विवाह के प्रसंग की जीवंत झांकी प्रस्तुत की। गाजे-बाजे के साथ मंच पर श्रीराम-सीता और पूरे जनकपुर की झांकी विराजमान हुई।

विवाह संस्कार कथा के माध्यम से मंच मानो जनकपुरधाम का पंडाल बन गया।  बापू चिन्मयानंद के मधुर मिथिला गीतों को गाकर सबका मन मोह लिया। इस मौके पर भगवान के बारात की भव्य झांकी सजाई गई थी। गाजे-बाजे के साथ घोड़े पर सवार होकर भगवान राम मंच तक आए। उनके साथ उनके तीनों भाई साथ में थे।  मंच पर माता सीता ने अपनी बहनों की उपस्थिति में भगवान का जय माला किया।

बापू चिन्मयानंद ने कहा जनेऊ संस्कार के बाद भगवान राम अपने भाइयों के साथ आश्रम में जाकर विद्या अध्ययन किया। जो लोग घर पर आकर ट्यूशन पढ़ाते हैं वह सही शिक्षा नहीं है। सार्थक शिक्षा प्राप्त करने के लिए हमें गुरु के पास जाना चाहिये। भगवान राम शिक्षा प्राप्त कर वापस लौटे। प्रातःकाल उठकर माता-पिता, गुरुदेव को प्रणाम करना तथा पिता के काम में हाथ बंटाना उनकी दिनचर्या थी।

युवाओं को पढ़-लिखकर बड़ा हो जाने के बाद भी माता-पिता का नित्य प्रातः चरण स्पर्श करना चाहिए। युवा पाश्चात्य संस्कृति का शिकार हो रहे हैं, जबकि हमें अपने भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। हम अपने ऋषि-महात्माओं की परम्पराओं और संस्कारों को न छोड़कर मां-बाप की सेवा करें। भारत में वृद्धाश्रम परम्परा कभी नहीं थी लेकिन यह शर्म की बात है कि जिन बच्चों को पढ़ा लिखाकर विवाह कर मां-बाप बड़ा करते हैं उनको वे वृद्धाश्रम में छोड़ दें।

कथा के क्रम में बापू चिन्मयानंद ने बताया कि विश्मामित्र ऋषि के यज्ञ की रक्षा करने के लिए भगवान राम उनके आश्रम जाते हैं। उसके बाद अहिल्या का उद्धार कर वे जनकपुर पहुंचते हैं। अयोध्या में राम के सभी भक्त हैं पर वहां भी एक मंथरा है। लंका में सब राम के दुश्मन हैं, पर एक विभीषण उनका भक्त है। जनकपुर मां जगदम्बा की नगरी है, जहां कोई विकार नहीं है। जनकपुर वासियों ने राम का भव्य स्वागत किया। जो प्रेम जनकपुर में भगवान को मिला वह इतना प्रबल है कि उसका वर्णन करना कठिन है। कथा में उन्होंने मिथिला के साथ ही पुष्पवाटिका का वर्णन किया, जहां राम और सीता का मिलाप हुआ। उन्होंने धनुष भंग की कथा सुनाई।

तीन दिसम्बर को राम वनवास और केवट प्रसंग की कथा सुनाई जायेगी। चार दिसम्बर को बापू चिन्मयानंद का जन्मदिन है। विश्व कल्याण मिशन शाखा द्वारा उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जायेगा। इसमें सुप्रसिद्ध कवि पहुंचेंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे। प्रतिदिन की तरह आज भी भाव-विभोर श्रोताओं से कथा का पंडाल खचाखच भरा हुआ था।

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