रायपुर। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत लेमरू हाथी परियोजना का क्षेत्रफल घटाने की कोशिश के खिलाफ कई पत्र लिख चुके हैं। इनमें उन्होंने ग्राम सभाओं की अनुमति के बगैर कोयला उत्खनन क्षेत्र आवंटित करने के केंद्र सरकार के फैसले की भी आलोचना की है।

डॉ. महन्त ने 13 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे गए पत्र में कहा था कि कोरबा जिले के कोयला उत्खनन के लिए आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन को 713 हेक्टेयर क्षेत्र आवंटित की गई है और इसमें अधिग्रहण की सूचना जारी की गई है। यह जंगल क्षेत्र पांचवी अनुसूची के तहत आता है इसके बावजूद अधिसूचना से पहले ग्राम सभाओं से कोई सहमति नहीं ली गई। इसके साथ ही यह  क्षेत्र शासन द्वारा घोषित लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत है। कोयला उत्खनन के कार्य से वन्य जीवन प्रभावित होगा। यह कार्य विधि विरुद्ध है। इसे लेकर आवश्यक निर्णय लेना उचित होगा।
12 जून 2020 को डॉ. महन्त ने लिखा था कि राहुल गांधी के निर्देश पर यह आम सहमति है की हसदेव क्षेत्र में वर्तमान में संचालित कोयला खदानों के अलावा कोई नई अनुमति न दी जाए। इस क्षेत्र के वनों, जल ग्रहण क्षेत्र और आदिवासियों को संरक्षित करने के लिए यह आवश्यक होगा। इस क्षेत्र में कोयले का मंडार सिर्फ राज्य का 10% है। अगस्त 2019 में लेमरू हाथी अभ्यारण के लिए कैबिनेट ने जो प्रस्ताव पारित किया है, उनमें केंदई प्रेम नगर और उदयपुर वन परिक्षेत्र के इससे शामिल हैं जिनको शामिल किया जाना चाहिए।
एक अन्य पत्र में डॉ महंत ने कहा है कि हसदेव क्षेत्र में कोयला खदानों की केंद्र सरकार जल्दी नीलामी करने जा रही है, इसलिए कैबिनेट की अतिशीघ्र बैठक बुलाकर केंदई, प्रेम नगर और उदयपुर वन परिक्षेत्र को लेमरू प्रोजेक्ट में शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी की जाए।
मालूम हो कि वन विभाग के अधिकारियों के बीच इस समय एक पत्र व्यवहार चल रहा है जिसमें लेमरू हाथी परियोजना क्षेत्र को 1995 वर्ग किलोमीटर से घटाकर 450 वर्ग किलोमीटर करने की कोशिश की जा रही है। इसमें सरगुजा से प्रतिनिधित्व करने वाले स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव एवं सरगुजा, कोरिया, कोरबा, जशपुर आदि जिलों के विधायकों की सहमति और अनुशंसा का हवाला दिया गया था। सिंहदेव इस पत्राचार को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री बघेल को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने वन विभाग के दावे को तथ्यहीन और भ्रामक बताया है। मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष विधायक लालजी राठिया ने भी स्पष्ट किया है कि वह अपने इलाके धरमजयगढ़ क्षेत्र में कोयला खदान नहीं चाहते हैं, क्योंकि यहां मानव हाथी संघर्ष बढ़ने का खतरा है।

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