बिलासपुर। भाजपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह की नृत्यांगना पत्नी यास्मीन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बीते साल 21 अक्टूबर को पारित आदेश को यथावत रखने कहा है और शासन को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है।

यास्मीन सिंह के खिलाफ कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने शिकायत की थी कि उन्हें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अंतर्गत संचार एवं क्षमता इकाई में सन् 2005 में नियम विरुद्ध संविदा नियुक्ति दी गई।  प्रारंभ में इन्हें 35 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया गया बाद में गोपनीय तरीके से इसे बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया। शिकायत में कहा गया था कि यास्मीन सिंह एक कथक नृत्यांगना हैं उन्हें शासकीय कार्य का कोई अनुभव नहीं है। जहां उनकी नियुक्ति की गई है वहां उनकी उपस्थिति और अवकाश का कोई रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं है। राज्य शासन के सामान्य प्रशासन ने इस शिकायत की जांच करने के लिए एक कमेटी बनाई। इसके बाद जांच कमेटी से मिली नोटिस के विरुद्ध यास्मीन सिंह की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई और जांच पर रोक लगाने की मांग की। बीते 21 अक्टूबर 2019 को हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने नो कर्सिव स्टेप्स का आदेश शासन को दिया। इसके अनुसार जांच में आगामी कार्रवाई पर रोक लगाई गई। इसके बाद यास्मीन सिंह एवं उनके पति तत्कालीन प्रमुख सचिव अमन सिंह के विरुद्ध आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने की एक जांच और शासन की ओर से शुरू की गई। इसके विरुद्ध कोर्ट में यास्मीन सिंह ने जांच पर स्थगन का आवेदन प्रस्तुत किया गया था। इस प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की कोर्ट में 16 जनवरी को हुई। कोर्ट ने  आरोपों की गंभीरता को देखते हुए 21 अक्टूबर 2019 को जारी नो कर्सिव स्टेप के आदेश को यथावत रखते हुए शासन को जवाब देने का अवसर प्रदान किया। मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी 2020 तय की गई है।

 

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