प्रदेशभर की 300 खंडपीठों में एक ही दिन में सुलझे 8209 प्रकरण, 42 करोड़ से अधिक के अवार्ड पारित

बिलासपुर। प्रदेश भर में शनिवार को आयोजित लोक अदालत में कई दिल को छू देने वाली घटनाएं सामने आईं। सास ने बहू को गले लगाया तो बड़े भाई ने छोटे भाई को माफ कर दिया।

राष्ट्रीय विधिक सहायता प्राधिकण के निर्देश पर 14 दिसम्बर को प्रदेश भर में करीब 300 लोक अदालतें लगाई गई थीं। इनमें 24 हजार लोगों को आपसी विवाद सुलझाने का मशविरा देते हुए नोटिस भेजी गई थी। इनमें से 8298 प्रकरणों का निराकरण एक ही दिन में हो गया, जिन पर सामान्य अदालतों में महीनों और बरसों फैसला नहीं हो पाया था। कई ऐसे प्रकरण थे जिनमें परिवार के बीच हुए विवाद अदालतों में पहुंचे थे और लोक अदालतों में सुलझ गये।

सूरजपुर में एक ऐसा प्रकरण आया जिसमें दो भाईयों और दूसरे प्रकरण में चाचा-भतीजे के बीच विवाद के बाद मारपीट हो गई थी। लोक अदालत में दोनों प्रकरण आये। बड़े भाई ने छोटे भाई के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी। छोटे भाई ने बड़े भाई के पांव छुए तो बड़े भाई ने उसे माफ कर दिया। इसी तरह चाचा और भतीजे के बीच का विवाद भी सुलझ गया। इसी जगह पर लोक अदालत में सास बहू के बीच मारपीट का मामला आया था। दोनों अपने-अपने पक्ष में अड़ी रहीं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अथक प्रयासों से दोनों के बीच समझौता हुआ। सास ने गले लगाकर बहू को माफ किया और दोनों एक साथ घर रवाना हुए।

लोक अदालत में आज ऐसा एक प्रकरण आया जिसमें एक सेवानिवृत्त व्यक्ति को उसकी पत्नी, बहू-बेटा व तलाकशुदा ने अलग-थलग छोड़ दिया। वे सेवानिवृत्त व्यक्ति के साथ रहने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। अलग रहने का कारण भी उन्होंने उनकी सेवानिवृत्ति को ही बताया। इस बीच आवेदक काफी बीमार हो गया, उसकी पेंशन की राशि भी बीमारी के इलाज में खर्च हो जाती थी और काफी कमजोर हो गया और परिवार वालों से डरा सहमा रहने लगा। बुजुर्ग होने के कारण रिपोर्ट भी नहीं कर सका। उसे नेशनल लोक अदालत की जानकारी प्राप्त होने पर उसने लोक अदालत में अपना प्रकरण रखा। न्यायाधीशों एवं सुलहकर्ताओं की समझाइश देने पर परिवार वाले साथ रहने एवं उसका भरण पोषण करने को तैयार हुए।

लोक अदालत में एक प्रकरण ऐसा आया जिसमें मुस्लिम महिला को उसके ट्रांसपोर्ट व्यवसायी पति ने तलाक दे दिया था। महिला के पांच बच्चे हैं। पति ने उन सबको मायके भेज दिया था। लोक अदालत में हुए समझौते के बाद पति ने महिला को चार लाख 40 हजार रुपये का एकमुश्त चेक दिया और हर माह 26 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का समझौता किया।

प्रदेश में लोक अदालतें मुख्य न्यायाधीश पी.आर. रामचंद्र मेनन तथा छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष प्रशांत कुमार मिश्रा के मार्गदर्शन में पूरे प्रदेश  में लगाई गई थी। सुबह 10 बजे से तहसील, जिला न्यायालयों में पक्षकारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। शाम तक हुए समझौतों में 42 करोड़ 85 लाख रुपये का अवार्ड पारित किया गया। प्रकरणों में न्यायालय में लंबित 5997 प्रकरण तथा प्री-लिटिगेशन के 2301 .मामले शामिल थे।

न्यायालय में लंबित निराकृत प्रकरणों में मोटर दुर्घटना दावा के 631 प्रकरणों का निराकरण किया गया तथा लगभग 20 करोड़ पांच लाख, 32 हजार सात रुपये  का क्षतिपूर्ति अवार्ड पारित किया गया। चेक बाउंस के 797 प्रकरणों का निराकरण कर 11 करोड़ 42 लाख 37 हजार 250 रुपये के मामलों का निराकरण आपसी राजीनामा के आधार पर किया गया। 271 वैवाहिक प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामा के आधार पर किया गया तथा 340 अन्य दीवानी प्रकरणों का निराकरण किया गया। प्रदेश के न्यायालयों में चल रहे प्रकरणों में 3485 समझौते योग्य अपराधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया। सर्वाधिक प्रकरण जिला रायपुर में 1310 तथा जिला बिलासपुर में 876 प्रकरणों का निराकरण किया गया।

भोजन, आने-जाने और स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा उपलब्ध करायी गई

रायगढ़ जिले में लोक अदालत के आयोजन के अवसर पर स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। लोक अदालत में आने वाले पक्षकारों का स्वास्थ्य परीक्षण कराकर आवश्यक दवाईयां वितरित की गयी। प्रेस एसोसिएशन रायगढ़ द्वारा लोक अदालत में आये हुए पक्षकारों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई। यहां बस मालिक संघ द्वारा लोक अदालत में आने वाले पक्षकारों को निःशुल्क यात्रा की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई ।

लोक अदालत से निपटे प्रकरणों के पक्षकार पहुंचे

रायगढ़ में लोक अदालत में पिछली लोक अदालत में निपटे प्रकरणों के पक्षकारों ने लोक अदालत में उपस्थित होकर पक्षकारों को समझौते के लिए प्रेरित किया। जिला न्यायालय रायगढ़ में आयोजित लोक अदालत में एक नई पहल प्रारंभ की गई। इसमें पिछली लोक अदालत में निराकृत हुए प्रकरणों के पक्षकारों को बुलाकर उनके संस्मरण सुने गए। पक्षकारों ने लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण के लिए इस लोक अदालत में उपस्थित हुए पक्षकारों से प्रकरणों का निराकरण कराकर सुख और शांति से जीवन व्यतीत करने का संदेश दिया।

उच्च न्यायालय में 119 प्रकरणों का निराकरण

आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था। जिसमें न्यायमूर्ति आर.पी.शर्मा, न्यायमूर्ति अरविन्द सिंह चंदेल, न्यायमूर्ति पी.पी. साहू, न्यायमूर्ति गौतम चौरडि़या, न्यायमूर्ति विमला सिंह कपूर की खण्डपीठ का गठन किया गया था। उच्च न्यायालय में 119 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिसमें लंबे समय से लंबित 54 सर्विस मेटर के प्रकरण, 55 मोटर दुर्घटना दावा के प्रकरण तथा 10 अन्य प्रकरणों में समझौता हुआ। इनमें एक करोड़ 46 लाख आठ हजार 666 रूपये का अवार्ड पारित किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here