बिलासपुर। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् ने नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया द्वारा परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष संतकुमार नेताम को ‘मोहरा’ बताने पर आपत्ति जताई है और उन्हें अपना बयान वापस लेने की मांग की है।

ज्ञात हो कि संतकुमार नेताम उन आदिवासी नेताओं में से हैं जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के आदिवासी जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी है। बिलासपुर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान मंत्री डहरिया से पूछा गया था कि क्या मरवाही उप-चुनाव में अमित जोगी को बाहर रखने के लिये फिर से संतकुमार नेताम को मोहरा बनाया जा रहा है। इसके जवाब में मंत्री ने कहा था कि सब जानते हैं, नेताम किसका मोहरा था। उनका इशारा भाजपा की ओर था, जहां नेताम पहले थे। अब वे कांग्रेस में हैं।

डॉ. डहरिया के इस बयान पर परिषद् की ओर से जारी विज्ञप्ति में सदस्य चक्रधर प्रताप साय ने कहा कि आदिवासी समाज के नेता पढ़े-लिखे हैं और अपना बुरा-भला समझते हैं। मोहरा जैसा शब्द प्रयोग करना मंत्री की समझ की कमी है। नेताम इंजीनियरिंग डिग्रीधारी हैं और बीते 30 वर्षों से समाज के उत्थान के लिये काम कर रहे हैं। झूठे प्रमाण पत्र के खिलाफ नेताम ने साहसिक लड़ाई लड़ी है। उन्हें मोहरा बताना आदिवासी समाज को स्वीकार्य नहीं है और वे आहत हैं। मंत्री खुद अनुसूचित जाति से आते हैं कम से कम उन्हें इन मामलों की समझ होनी चाहिये।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here