मुनाफाखोरी पर एक कार्रवाई नहीं हुई, आंदोलन की चेतावनी

बिलासपुर। कोविड संक्रमण व लॉक डाउन में जिला प्रशासन बिलासपुर की भूमिका को संवेदनहीन व तानाशाहीपूर्ण बताते हुए जिला कांग्रेस कमेटी बिलासपुर के महामंत्री व प्रवक्ता अनिल सिंह चौहान ने कहा है कि लॉक डाउन लगाने के गलत प्रक्रिया व विलंब के कारण शहर में विगत दो दिनों में बाजार में भारी भीड़, अफरा तफरी, कालाबाजारी, जमाखोरी के साथ ही भयंकर संक्रमण का खतरा बढ़ा।

कांग्रेसियों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज कांड सहित जिले में काला बाजारी, जमाखोरी, सहित अन्य मुद्दों पर जिला प्रशासन पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए चौहान ने कहा कि लगभग तीन वर्षों से जमे अतिरिक्त कलेक्टर बी. एस. उइके सहित राजस्व विभाग के कई अधिकारियों के उदासीन रवैये से सरकार की नीतियों का जिले में क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। कोविड 19 विपदा में अभी तक जिला प्रशासन द्वारा जमाखोरी व बेलगाम कीमतों को लेकर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। शासकीय व निजी अस्पतालों को निरंकुश छोड़ दिया गया। मॉनिटरिंग करने के बजाय प्रशासन के आला अधिकारी अपने वातानुकूलित कमरों से बाहर नहीं निकलते और शिकायत करने पर जनता को अपमानित करते हैं। जिला प्रशासन में भाजपा शासनकाल में जो अधिकारी कमीशनखोरी कर रहे थे उनको यथाशीघ्र बदला जाना अनिवार्य हैं। इसको लेकर संगठन व सरकार के मुखिया को पत्र लिखकर व अन्य माध्यमों से मांग की जायेगी।

चौहान ने कहा कि जिले में शनिवार शाम को लॉक डाउन का आदेश जिन शर्तों के साथ जारी किया गया उसे एक-दो दिन पूर्व जारी किया जाना था जैसा दूसरे जिलों में  किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस संदर्भ में गाइडलाइन दी है, जिससे अफरा तफरी का वातावरण निर्मित न हो। एकाएक हुए लॉक डाउन के अलावा कालाबाजारी व जमाखोरी रोकने सहित अन्य प्राथमिक समुचित उपाय नहीं किए गए जिससे बाजार में खाने के तेल, आलू, अंडे, सब्जियां, राशन, मसाला सहित सभी जरूरी चीजों की जमकर जमाखोरी की गई और मनमानी कीमतों पर बेचा गया। बिलासपुर शहर व जिले के अन्य नगरीय क्षेत्रों में आम आदमी व छोटे व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

चौहान ने कहा है कि जिला प्रशासन द्वारा जन प्रतिनिधियों व आम जनता के प्रति उदासीन व तानाशाही रवैय्ये के संदर्भ में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, राजस्व मंत्री, मुख्यमंत्री व अन्य आला नेताओं को अवगत कराते हुए कार्रवाई की मांग की जाएगी। समुचित मार्गदर्शन लेने के बाद लॉक डाउन के पश्चात शहर के वरिष्ठ जनों, विभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों को साथ लेकर लोकतांत्रिक तरीके से  चरणबद्ध आंदोलन व कलेक्ट्रेट का घेराव आदि का कार्यक्रम किया जायेगा।

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