गौरेला। गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले में स्वास्थ्य सेवायें किस तरह दम तोड़ रही है इसका उदाहरण सामने आया है। एक 15 वर्ष की आदिवासी बालिका के इलाज के लिये एम्बुलेंस पहुंचने में कई घंटे लग गये और जब वह अस्पताल पहुंची तो वहां इलाज के लिये डॉक्टर मौजूद नहीं थे। बालिका की आखिर मौत हो गई।

पेन्ड्रा मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर आमाडांड़ से लगे ग्राम जटादेवरी के राम सिंह गोंड की 15 वर्षीय बेटी सुषमा की तबियत 29 जुलाई की रात बिगड़ गई। परिजनों ने रात 12 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पेन्ड्रा को सूचित करते हुए एम्बुलेंस की मांग की। अटेंन्डर सुशीला ने एम्बुलेंस नहीं होने की बात कही। इसके बाद लगातार फोन लगाने के बाद रात में 3.05 बजे एम्बुलेंस पहुंची। तब तक तबियत काफी बिगड़ चुकी थी। उसे तत्काल इलाज की जरूरत थी लेकिन जब वह अस्पताल पहुंची तो वहां कोई डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं था। 45 मिनट बाद जब डॉक्टर पहुंचे तो वह बच नहीं पाई और थोड़ी देर में सुषमा की मौत हो गई।

गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही नया जिला जरूर बन गया है लेकिन स्वास्थ्य सेवा पहले की ही तरह चरमराई हुई है। ग्रामीणों की स्वास्थ्य सुरक्षा, जांच और उपचार में आये दिन ऐसी लापरवाही दिखाई देती है।

(रिपोर्ट- सुमित जालान) 

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