आमदनी बढ़ाने की कई योजनाओं पर काम कर रही हैं स्व-सहायता समूह की महिलाएं, कलेक्टर ने किया प्रोत्साहित

बिलासपुर। कोटा विकासखंड के आदिवासी बाहुल्य ग्राम कंचनपुर के आदर्श गौठान में बागवानी, वनोपज और पशुपालन से सम्बन्धित आर्थिक गतिविधियां शुरू की जा रही है। इस आदिवासी बाहुल्य गांव में महिलाओं ने अपनी रूचि से गौठान का पूरा काम संभाल लिया है और कई बेहतर योजनाओं पर काम करके अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने जा रही हैं।  कलेक्टर डॉ. संजय अलंग ने आज यहां के गौठान का निरीक्षण कर अधिकारियों को इस सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश दिया।

वन ग्राम कंचनपुर में पांच एकड़ क्षेत्र में गौठान बनाया गया है। यहां प्रतिदिन लगभग 200 गायें आती है। गौठान में अजोला टैंक बनाया गया है जहां जानवरों के लिए प्रोटीन युक्त अजोला चारा उपलब्ध है। गौठान से निकले गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने लिए पांच टैंक भी बनाये गये हैं। गांव की दुर्गा महिला स्व-सहायता समूह ने यहां पर खाद बनाने का कार्य शुरू किया है। सभी महिलाएं बिंझवार आदिवासी हैं। अभी पांचों टैंक में कुल 60 क्विंटल वर्मी खाद तैयार हो चुका है, सूखने के बाद इनकी बिक्री की जायेगी। गौठान से लगे हुए दो एकड़ क्षेत्र में समूह की महिलाओं ने बाड़ी भी तैयार कर ली है। इन्हें उद्यानिकी विभाग ने सब्जी, भाजी के बीज उपलब्ध कराये हैं।

कलेक्टर ने यहां के भ्रमण के दौरान उक्त कार्यों का अवलोकन किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यहां फूलों की खेती, मधुमक्खी पालन, दोना-पत्तल एवं पोल्ट्री एवं बतख पालन की गतिविधि इसी वर्ष प्रारंभ करें।

उत्साहित महिलाओं से प्रभावित कलेक्टर डॉ. अलंग ने गौठान में जमीन पर बैठकर काफी देर तक उनकी गतिविधियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने महिलाओं के लगन की तारीफ की और कहा कि इससे भविष्य में उन्हें काफी लाभ होगा। महिलाओं ने फूल की खेती, मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, बतख पालन के लिए दिये गये कलेक्टर के सुझाव को लेकर उत्सुकता दिखाई। महिलाओं को डॉ. अलंग ने गौठान में दोना पत्तल मशीन लगाने की मंजूरी दी। महिलाओं ने बाड़ी के लिए अतिरिक्त पानी की आवश्यकता बताई, जिस पर कलेक्टर ने पीएचई को बोर कराने का निर्देश दिया है। उपस्थित महिलाओं ने बताया कि वे भी गोबर से गमला व दीया बनाना चाहती हैं। कलेक्टर ने सम्बन्धित अधिकारियों को इसका प्रशिक्षण महिलाओं को देने का निर्देश दिया।

कलेक्टर ने इस दौरान बैगा परियोजना के तहत 19 हितग्राहियों को बकरियां वितरित की, जिससे वे बकरीपालन व्यवसाय करेंगे। इसके अलावा एक आदिवासी महिला को कुक्कुट पालन के लिये चूजे प्रदान किए गये।

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