बिलासपुर। कांग्रेस से छह साल के निकाले गये त्रिलोक श्रीवास की आज पार्टी में वापसी हो गई। इसी साल 14 अगस्त को उन्हें पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। उन्होंने अपने दम पर पार्षद चुनाव में कांग्रेस-भाजपा दोनों को परास्त कर दिया, अपना जनाधार साबित किया और पार्टी ने उनको वापस ले लिया।

त्रिलोक श्रीवास के भाई आनंद श्रीवास की पत्नी योगिता ने नगर निगम के वार्ड 68 से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गईं।

नगर-निगम की सीमा का इस साल विस्तार हुआ है जिसमें तीन नगरीय निकाय और 18 ग्राम पंचायतें शामिल हो चुकी हैं। बदले हालात में विरोध के स्वर भी उठे।

बीते 13 अगस्त को कलेक्टोरेट के सामने नगर निगम परिसीमन के विरोध में एक प्रदर्शन हुआ था जहां त्रिलोक श्रीवास मौजूद थे। इस प्रदर्शन के अगले दिन त्रिलोक श्रीवास पार्टी से निकाल दिये गये। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होते हुए भाजपा नेताओं के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुर्दाबाद के पर्चे बांटे।

इसके बाद, वार्ड चुनाव में योगिता ने कांग्रेस और भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों को हराकर जीत हासिल कर ली।

सोमवार को रायपुर में, प्रदेश कांग्रेस भवन में प्रदेशाध्यक्ष मोहन मरकाम से त्रिलोक श्रीवास ने नव-निर्वाचित पार्षदों और अपने समर्थकों के साथ मुलाकात की और कहा कि उनका परिवार कांग्रेसी है और इसी पार्टी से जुड़े रहना चाहते हैं। प्रदेश अध्यक्ष मरकाम ने उनकी निष्ठा का सम्मान करते हुए इन सभी को कांग्रेस में वापस लेने का निर्णय लिया।

मालूम हो, एक और कांग्रेस से जुड़ी रहीं राजकिशोरनगर वार्ड की निर्वाचित निर्दलीय पार्षद संध्या तिवारी कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं। कांग्रेस में अब 36 पार्षद हैं जो महापौर पद हासिल करने के लिए काफी हैं। निर्दलियों की संख्या घटकर तीन रह गई है। इनमें से भी एक और निर्दलीय शहजादी कुरैशी के कांग्रेस से बाहर जाने की संभावना नहीं है। उन्होंने भी कांग्रेस से टिकट मांगी थी पर नहीं मिली थी। उन्होंने भाजपा के मेयर पद के संभावित दावेदार राजेश मिश्रा को हरा कर अपनी लोकप्रियता साबित की।

 

 

 

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