करगीरोड-कोटा। शहरों जहां लोगों को घर से बाहर निकलने से रोकने के लिए पुलिस को बार-बार बल प्रयोग करना पड़ रहा है वहीं कोटा क्षेत्र के गांवों में बिल्कुल इससे उलट स्थिति है। ग्रामीण-क्षेत्रों में इसे लेकर भारी जागरूकता काफी देखी जा रही है।

कोटा-विकासखंड के करका, करपीहा-धनरास, पीपरपारा-छेरकाबाँधा, बिल्लीबंद, अमाली, लखोदना, खुरदुर अमने, नेवसा, सहित अनेक ग्राम-पंचायतों के ग्रामीणों, युवा-वर्ग व अन्य लोगों के द्वारा अपने-अपने ग्राम पंचायत के सीमा पर ही बैरिकेड्स लगाकर युवा ग्रामीण मास्क लगाकर लगातार पहरेदारी कर रहे हैं।

वे इस तरह से पुलिस एवं प्रशासन का सहयोग कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इस दौरान ना ही गांव से कोई बाहर जाने का प्रयास कर रहा है, ना ही किसी दूसरे गांव से आने वाले लोगों को गांव में प्रवेश दिया जा रहा है। यहां तक कि दूसरे प्रदेश से कमाने-खाने गए लोग अगर वापस अपने गांव लौट रहे हैं, तो भी उनको जल्दी से गांव के अंदर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, बल्कि इन्हें 14 दिनों तक गांव से बाहर रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है, कि अगर कोई स्वास्थ्य को लेकर या फिर रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं अगर आवश्यक हो तभी ग्रामीण जन गांव से बाहर निकले।

ग्रामीण इलाकों में युवा एवं जनप्रतिनिधियों के इस जागरूकता भरे संदेश का कोटा नगर सहित शहरी क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवी-वर्ग गणमान्य-नागरिक भी इसी प्रकार से पहल करें तो काफी हद तक पुलिस एवं प्रशासन की मदद हो जाएगी। इसके अलावा वार्ड में होने वाली गरीब तबके के मजदूर लोगों की भी परेशानी का हल निकल सकता है उनके राशन-पानी या स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी परेशानियों को प्रशासनिक-अधिकारियों, मीडिया के सहयोग से उनकी समस्याओं का हल भी निकल सकता है।

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