सीवीआरयू में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

बिलासपुर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर डॉ. सीवी रामन विश्वविद्यालय में बेसिक कंपोनेंट्स ऑफ सिंगिंग थीम पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर अतिथि वक्ता इंदिरा कला संगीत महाविद्यालय, खैरागढ़ की सहायक प्राध्यापक शेख मेदिनी होम्बल ने भरतनाट्यम नृत्य पर, छालीवुड प्लेबैक सिंगर डॉ छाया प्रकाश ने गायकी और प्रजापिता ईश्वरीय ब्रम्हाकुमारी केंद्र की प्रमुख छाया बहन ने हारमनि इन रिलेशनशिप सहित अनेक विषयों पर विश्वविद्यालय की महिलाओं के सामने अपनी बात रखी और जीवन का अनुभव साझा किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से भी अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। सभी अतिथियों ने अपने विशेष अंदाज में लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी।

इस अवसर पर उपस्थित इंदिरा कला संगीत महाविद्यालय, खैरागढ़ की सहायक प्राध्यापक शेख मेदिनी होम्बल ने कहा कि गायन, वादन और नृत्य यह तीनों ही संगीत हैं। आज हम इन तीनों माध्यम से स्वर कोकिला स्व. लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देंगे। उनके शिष्यों ने गायन, वादन और नृत्य के माध्यमों से शानदार प्रस्तुति दी।

छालीवुड प्लेबैक सिंगर डॉ. छाया प्रकाश कहा कि पूरी प्रकृति सरगम से ही बाहर निकली है। आज हर ओर हर कार्य में प्रकृति की आवाज में सरगम विराजमान है। मनुष्य प्रकृति से मिलकर बना है, इसलिए उसके जीवन में भी संगीत है। इसलिए जीवन का हर कार्य संगीतमय होना चाहिए। उन्होंने स्वर, सुर और साधना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें अपने जीवन के अनुभवों को भी सबसे साझा किया।

कार्यक्रम में प्रजापिता ईश्वरीय ब्रम्हाकुमारी की प्रमुख छाया बहन ने कहा कि हमारा जीवन भी पांच स्वर पर केंद्रित है। हम इन अपने जीवन में 5 स्वरों के गुणों को धारण करें, तो जीवन एक आदर्श के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने बताया कि स से साहस,  र से रेखा, ग से गंभीरता म से मधुरता और प से पहचान।

विश्वविद्यालय की सम कुलपति डॉ जयती चटर्जी मित्रा ने कहा कि आज सोच में तालमेल की जरूरत है। महिलाएं त्याग व समर्पण के साथ समाज की दशा और दिशा बदलने का सामर्थ्य रखती हैं। इस कारण ही आज एक समाज में आदर्श है। महिलाओं के प्रति सोच की अपंगता को खत्म करना जरूरी है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रिया श्रीवास्तव ने भी नृत्य की प्रस्तुति दी। विश्वविद्यालय के अनेक विभागों की छात्राओं और प्राध्यापकों ने भी अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उप कुलसचिव पुष्पा कश्यप, डॉ नमिता भारद्वाज सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष प्राध्यापक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक – कुलपति

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि स्त्री भावना प्रधान है और पुरुष विवेक प्रधान है। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन दर्शन में अर्धनारीश्वर सिद्धांत है। मनुस्मृति में भी कहा गया है कि एक मां हजार पिताओं के बराबर है। उन्होंने आदि काल से लेकर वर्तमान आधुनिक युग तक सभी युग में स्त्रियों के महत्व को विस्तार से बताया।

 टूटे बटन से लेकर टूटे आत्म विश्वास को जोड़ने का कौशल केवल स्त्री में-गौरव

कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि पुरुष के शर्ट के बटन जोड़ने से लेकर पुरुष के आत्मविश्वास को बांधने तक का कार्य आज महिलाएं कर रही हैं। वास्तव में पुरुष के जीवन के हर पल पर उसका बड़ा महत्व है और आज पूरा समाज हर क्षेत्र में महिलाओं का ऋणी है। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय में 100 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं। इनमें वे मध्यम से लेकर उच्च पद तक कार्य कर रही हैं। यह हमारे विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।

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