स्मार्ट सिटी कम्पनियों ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को खड़ा किया

मेयर इन कॉन्सिल और सामान्य सभा द्वारा दाखिल जवाब में अधिकार दिलाने की मांग

बिलासपुर। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस गौतम चौरड़िया की खण्डपीठ ने आज बिलासपुर और रायपुर नगर निगमों की निर्वाचित संस्थाओं के अधिकारों को हड़प कर स्मार्ट सिटी कम्पनियों द्वारा कार्य करने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई समय समाप्त होने के कारण दो दिन के लिये टल गई। अब यह सुनवाई 10 मार्च को होगी। आज स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी खड़े हुए, पर इस बीच समय समाप्त हो गया।

गौरतलब है कि बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी ने जनहित याचिका कर बिलासपुर और रायपुर नगर में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों को इस आधार पर चुनौती दी है कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलापों का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है। जबकि ये सभी कम्पनियां विकास के वही कार्य कर रही हैं, जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है। विगत 5 वर्षो में कराये गये कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम, मेयर, मेयर इन कॉन्सिल या सामान्य सभा से नहीं ली गई है।

केन्द्र सरकार की ओर से इस याचिका के जवाब में यह माना गया कि ये दोनों कंपनियां उन्हीं कार्यो को अंजाम दे सकती है,  जिसकी अनुमति नगर निगम दे। साथ ही इन कम्पनियों के निदेशक मण्डल में राज्य सरकार और नगर निगम के बराबर-बराबर प्रतिनिधि होने चाहिए। वर्तमान में इन दोनों कम्पनियों के 12 सदस्यीय निदेशक मण्डल में  नगर निगम आयुक्त के अलावा कोई भी नगर निगम का प्रतिनिधि नहीं है। इसके विपरीत स्मार्ट सिटी कम्पनियों की ओर से उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार होने की दलील दी जा रही है।

बिलासपुर और रायपुर नगर निगमों की निर्वाचित संस्थाओं मेयर इन काउंसिल और सामान्य सभा ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं। इसमें उन्होंने कहा है कि स्मार्ट सिटी कम्पनी को नगर निगम अधिनियम के तहत कार्य करना चाहिए और निर्वाचित संस्थाओं को अधिकार मिलने चाहिए।

 

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