बिलासपुर। विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संकट में अधिवक्ताओं की सहायता के लिए आकस्मिक निधि बनाकर योजना तैयार कर शीघ्र ही आर्थिक रूप से कमजोर अधिवक्ताओं की मदद छत्तीसगढ़  विधिक परिषद को करनी चाहिए, साथ ही  बिना ब्याज के लोन भी मुहैया करानी चाहिए। इसके अलावा अधिवक्ताओं के साथ जुड़े क्लर्क, अधीनस्थों के मदद के लिए भी राज्य अधिवक्ता परिषद एवं राज्य सरकार आगे आए। इसे लेकर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजेश केशरवानी ने एक याचिका आज उच्च न्यायालय में अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से दायर की है।

याचिका ई मेल से उच्च न्यायालय में पेश की गई है जिस पर मुख्य न्यायाधीश के अनुमोदन के पश्चात सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 कोरोना महामारी के कारण देश सहित छत्तीसगढ़ में 25 मार्च से लॉक डाउन किया गया है। इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा 25 मार्च से नोटिफिकेशन जारी करके प्रदेश के सभी न्यायालय, उच्च न्यायालय सहित जिला न्यायालय, तहसील न्यायालय, सभी राजस्व न्यायालय तथा विभिन्न प्रकार के अभिकरणों को बंद करने का आदेश दिया गया है। इसके कारण जूनियर अधिवक्ता जिनकी प्रैक्टिस 7 वर्ष से कम है उनके समक्ष रोजी रोटी की संकट उत्पन्न हो गई है। यह लाक डाउन 30 अप्रैल तक बढ़ने की संभावना है, उसके पश्चात मई जून में न्यायालय की ग्रीष्म कालीन छुट्टियां संभावित हैं।

ऐसे समय में छत्तीसगढ़ विधिक परिषद एवं अधिवक्ता कल्याण अधिनियम के तहत गठित समिति, जिसमें राज्य सरकार भी सम्मिलित है, एवं अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा छह के तहत यह उपबंध किया गया है कि जरूरत के समय पर राज्य विधिक परिषद् जरूरतमंद वकीलों, विकलांग वकीलों को वित्तीय सहायता सहित सभी तरह की मदद करेगी। अतएव, उच्च न्यायालय राज्य अधिवक्ता परिषद को निर्देश दे कि वह गाइडलाइन तैयार कर उन अधिवक्ताओं की मदद करे, जिनकी प्रैक्टिस 7 वर्ष से कम हो। इसे लेकर एक समिति का भी गठन शीघ्र किया जाए ताकि जूनियर अधिवक्ताओं क्लर्क एवं उनसे जुड़े लोगों को वित्तीय मदद प्राप्त हो।

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