बिलासपुर। सुपरिचित कवि-आलोचक शाकिर अली का ह्रदयाघात से निधन हो गया। जनवादी लेखक संघ ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। वे जनवादी लेखक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी थे।

जलेसं के अध्यक्ष कपूर वासनिक तथा सचिव नासिर अहमद सिकंदर ने कहा कि शाकिर अली छत्तीसगढ़ की लेखक बिरादरी में लोकप्रिय रहे। लेखकीय दंभ से परे वे हर व्यक्ति से सहजता से मिलते थे। उनके दो कविता संग्रह “नए  जनतंत्र में” व “बस्तर बचा रहेगा” तथा एक आलोचना पुस्तक “आलोचना का लोकधर्म” शीर्षक से प्रकाशित है। उनकी कविताएं सामाजिक यथार्थ के करीब अपना रास्ता तलाशती हैं। उनकी आलोचना का मुक़ाम भी इसी के आसपास ठहरता है। प्रगतिशील-जनवादी लेखन के साथ-साथ वे एक कुशल संगठनकर्ता भी थे। उनके निधन से छत्तीसगढ़ की समूची लेखक बिरादरी स्तब्ध और दुखी है।

रविवार को श्रद्धांजलि सभा

शाकिर अली की याद में एक श्रद्धांजलि सभा 7 नवंबर रविवार को दिन में 11 बजे कर्मचारी भवन डबरी पारा (कंपनी गार्डन के सामने वाली गली में) रखी गई है। इसी दिन यहां ट्रेड यूनियन कौंसिल की बैठक भी रखी गई है, जो पूर्व में 10 नवंबर को प्रस्तावित थी। अध्यक्ष पीआर यादव ने बताया कि बैठक में केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर में ट्रेड यूनियनों एवं किसानों के आंदोलन पर चर्चा की जाएगी।

उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए नंद कुमार कश्यप ने कहा कि शाकिर अली ग्रामीण बैंक कर्मचारियों के (ऑल इंडिया रिजनल रूरल बैंक एम्प्लाइज यूनियन की स्थापना में शामिल रहे और 1981 में बिलासपुर में उसके केंद्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चुने गए। वे जनवादी लेखक संघ की स्थापना सम्मेलन में प्रतिनिधि थे और उसके बाद जलेस प्रदेश के सम्मेलनों में उपस्थित होते रहे। वे एक समर्थ आलोचक के साथ ही अच्छे कवि थे। बस्तर पर उनकी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है। शाकिर अली राष्ट्रीय फलक पर चर्चा में आए जब एक आलेख में उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को राष्ट्रीय बुर्जुआ लिख दिया था। इस विषय पर पूरे देश में अखबार और पत्रिकाएं दो खेमों में बंट गईं थीं ।

जनवादी लेखक संघ, दुर्ग जिला इकाई ने भी शाकिर अली के निधन पर शोक सभा आयोजित की। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए परदेसी राम वर्मा ने कहा कि शाक़िर अली ने जीवन भर सैद्धांतिक जीवन जीते हुए प्रेरक लेखन किया। विनोद साव ने उन्हें सह्रदय व्यक्ति बताते हुए सबको जोड़ने वाला मिलनसार व्यक्ति माना। राकेश बम्बार्डे ने कहा कि उनका लेखन हमेशा याद किया जायेगा। नासिर अहमद सिकन्दर ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके कविता कर्म को व्याख्यायित किया। शोक सभा में लक्ष्मी नारायण कुम्भकार, गजेंद्र झा, अजय चन्द्रवँशी, घनश्याम त्रिपाठी आदि ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

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