केंद्र, राज्य, दुर्ग जिला प्रशासन व सीएमएचओ को नोटिस

बिलासपुर। दुर्ग के जिला अस्पताल में संचालित दिव्यांग व्यक्ति के प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र को धनवंतरी दुकान के लिए खाली कराने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। अवकाश कालीन न्यायाधीश ने प्रशासन द्वारा जोर-जबर्दस्ती किए जाने की बात सामने आने पर अर्जेंट सुनवाई की।

अस्पताल में 70 फ़ीसदी निशक्त मनीष खत्री को प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र योजना के अंतर्गत एक निशुल्क कक्ष उपलब्ध कराया गया है। अस्पताल प्रबंधन के साथ उसका अनुबंध 2016 से जारी है जिसकी अवधि 2022 तक है।

जिला चिकित्सालयों एवं अन्य स्थानों पर इस समय राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी धनवंतरी योजना के तहत दवा दुकान शुरू किए जा रहे हैं। दुर्ग जिला चिकित्सालय मैं भी एक दवा दुकान खोलने की योजना है। इसके लिए कलेक्टर ने संयुक्त कलेक्टर प्रियंका वर्मा को जिला अस्पताल में उचित स्थान निर्धारित करने का निर्देश दिया। इस पर दिव्यांग दुकानदार मनीष खत्री को अपना दुकान खाली करने की नोटिस दी गई। खत्री ने 2022 तक अनुबंध होने का हवाला देते हुए जगह खाली करने से इंकार कर दिया। इस पर बीते 23 अक्टूबर को संयुक्त कलेक्टर वर्मा ने पहुंच कर, आरोप के अनुसार उसके साथ दुर्व्यवहार करते हुए दुकान बंद करने के लिए कहा। दुकानदार के विरुद्ध यह भी आरोप लगाया गया कि वह जेनेरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाइयों की बिक्री करता है। संयुक्त कलेक्टर ने यह रिपोर्ट कलेक्टर को भेज दी और सीएमएचओ ने उसे दुकान खाली करने के लिए नोटिस जारी किया। इस नोटिस के विरुद्ध दुकानदार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर जिस पर 15 नवंबर को सुनवाई निर्धारित की गई थी।

इस बीच दीपावली अवकाश के दौरान याचिकाकर्ता की दुकान का सामान बाहर फेंक दिया गया। इस पर याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में मामले की तत्काल सुनवाई की अपील की। हाईकोर्ट में इन दिनों दीपावली अवकाश घोषित किया गया है। अवकाशकालीन न्यायाधीश जस्टिस आरसीएस सामंत ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए निर्धारित तिथि से पहले ही 2 नवंबर को याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया की दुकान को खाली कराने के लिए उसके स्टोर का सामान फेंक दिया गया है और अब उसकी रोजी-रोटी ठीक त्यौहार के पहले छिन गई है। जिला प्रशासन ने उक्त कार्रवाई करने से पूर्व उसका पक्ष नहीं सुना है। उसके विरुद्ध ब्रांडेड दवाइयां बेचने का आरोप लगाए गए हैं, जबकि जेनेरिक दवाई नहीं होने की स्थिति में ब्रांडेड दवाइयां रखने पर कोई रोक नहीं है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत है कि किसी भी व्यक्ति का पक्ष सुने बिना उसके विरुद्ध आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की दुकान को बलपूर्वक खाली नहीं कराया जा सकता। कोर्ट ने दुकान से दिव्यांग को दुकान से बेदखल करने की कार्रवाई पर रोक लगा दी। इसके अलावा केंद्र सरकार, राज्य सरकार, दुर्ग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।

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