बिलासपुर। बेरोजगारी में बांस की टोकनी बनाकर बेच रहे तमिलनाडु के एक अधिवक्ता की सराहना करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन ने  उन्हें 10 हजार रुपये का चेक उपहारस्वरूप भेजा है।

तंजावूर, तमिलनाडु के 2010 के स्नातक अधिवक्ता के. उत्थमकुमारन् की कहानी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था कि कोविड-19 के बाद लॉकडाउन होने के बाद हर माह लगभग 25 हजार रुपये कमा लेने अधिवक्ता के हाथ खाली हो गये, तब उसने अपने पारम्परिक व्यवसाय को अपनाने में कोई झिझक महसूस नहीं की और खर्च चलाने के लिये बांस की टोकनी बनाकर बेचना शुरू कर दिया।

ज्ञात हो कि इस समय छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में आर्थिक संकट से घिरे अधिवक्ताओं की कुछ याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। अधिवक्ता संदीप दुबे, अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी, राजेश केशरवानी आदि के मामलों की सुनवाई करते हुए उन्होंने इस घटना का जिक्र अपने आदेश में 18 जून को किया था।

अधिवक्ता उत्थमकुमारन् को पत्र में चीफ जस्टिस मेनन ने लिखा कि इस राशि को वह अनुदान, सहयोग या सहानुभूति के रूप में न लें बल्कि उपहार समझें। इसे श्रम के प्रति सम्मान की सराहना समझें। आपका यह कदम वकीलों की बिरादरी को सकारात्मक रहने के लिये प्रेरणा देता है और बताता है कि हर सूर्यास्त के बाद सूर्योदय ही होता है।

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