बिलासपुर, 7 जुलाई। हाईकोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी में कर्मचारी की पत्नी को चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाई, जिससे उनकी मौत हो गई। पीडि़त कर्मचारी ने इस मामले की शिकायत न्यायालय कर्मचारी संघ से की है। कर्मचारी की मौत को लेकर हुई लापरवाही की जांच की मांग को लेकर संघ ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से शिकायत की है। साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है। रामेश्वर सिंह ठाकुर हाईकोर्ट में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। उनकी पत्नी की आठ मई को अचानक तबीयत बिगड़ गई। इस पर पहले उन्होंने संजीवनी 108 में काल कर एंबुलेंस मंगाई, लेकिन समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंची। इस बीच उन्होंने हाईकोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी में पदस्थ चिकित्सक से भी आग्रह किया है और शासकीय परामर्श देने का अनुरोध किया लेकिन उन्हें किसी तरह से कोई सुविधा नहीं मिल पाई। आरोप है कि  इसके कारण उनकी पत्नी की मौत हो गई। इस पर हाईकोर्ट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार पाठक व सचिव राजकुमार चंदा ने हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। संघ ने इस लापरवाही के लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने पीड़ित कर्मचारी की शिकायत की जांच कराने की भी मांग की है। संघ का यह भी कहना है कि हाईकोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी  में दो एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध है। आपात स्थिति में न्यायाधीशों के साथ ही न्यायिक अधिकारी-कर्मचारियों एवं उनके स्वजनों के उपयोग के लिए प्रदान की गई है। संघ ने अपनी शिकायत में बताया कि हाईकोर्ट परिसर स्थित डिस्पेंसरी में उपलब्ध एम्बुलेंस मारूति वैन का निजी उपयोग यहां पदस्थ चिकित्सक द्वारा किया जा रहा है। उक्त एम्बुलेंस वाहन को वे स्वयं चलाते हुए अपने आवास नर्मदा नगर मंगला चौक आने-जाते हैं। छुट्टियों के दिन एवं रात में भी उक्त वाहन को अपने निजी कार्यों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

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