बिलासपुर। हत्या के आरोप में जेल में बंद एक आरोपी 8 साल से सिर्फ इसलिये जेल में बंद है क्योंकि उसके पास जमानत के लिए 25 हजार रुपये नहीं है। इसे गंभीरता से लेते हुए अधीनस्थ अदालतों व जेल अधीक्षकों के लिए हाईकोर्ट ने नई गाइडलाइन जारी की है।
कसडोल के केशव अघरिया को सन् 2014 में हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2015 में उसे सेशन कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई और दो हजार रुपये जुर्माना लगाया। आरोपी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। 14 अक्टूबर 2015 को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा स्थगित कर उसे 25 हजार रुपये की जमानत में छोड़ने का आदेश दिया। जमानत राशि नहीं देने के कारण सेशन कोर्ट ने न तो उसकी रिहाई का आदेश दिया, न ही हाईकोर्ट को सूचित किया कि उनके आदेश का पालन नहीं किया जा सका है। जेल अधीक्षक को भी हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं मिली। इसके चलते वह बीते आठ साल से जेल में कैद है।
प्रकरण में अंतिम अपील की सुनवाई शुक्रवार को जस्टिस संजय एस अग्रवाल व जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच में हुई। हाईकोर्ट के समक्ष यह जानकारी दी गई कि अभियुक्त को जमानत राशि जमा नहीं होने के कारण जेल से रिहा नहीं किया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने हैरानी जताई। कोर्ट ने ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए विस्तृत गाइडलाइन अधीनस्थ अदालतों तथा जेलों के लिए जारी किया है। इसमें कहा गया है कि रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का आवश्यक रूप से पूरी तरह पालन किया जाए। किसी अभियुक्त को आदेश के बावजूद जमानत पर रिहा किया गया या नहीं, इसकी जानकारी जेल अधीक्षक ई मेल से देंगे। साथ ही रिहाई की जानकारी ई प्रिजनर्स सॉफ्टेवयर में दर्ज करेंगे। यदि कोई जमानत पाने वाला 7 दिन के भीतर रिहा नहीं होता है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित करें, अभियुक्त की रिहाई का प्रयास करेगा। हाईकोर्ट ने यह आदेश प्रदेश के सभी न्यायालयों को भेजने के लिए कहा है।

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