डॉ. होतचंदानी ने बताया आधुनिक जीवन शैली के बीच तनाव से मुक्त रहने का तरीका

गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों ने रतनपुर का भ्रमण किया। वहां उन्होंने महामाया मंदिर का दर्शन किया और समाज के विभिन्न तबकों के लोगों से बातचीत कर उन पर अध्ययन किया। विश्वविद्यालय में आधुनिक जीवनशैली से उत्पन्न होने वाले तनावों पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।

विश्वविद्यालय में 10 से 31 दिसंबर तक आधुनिकीकरण के दौर में सामाजिक कार्य और सामाजिक विकास विषय पर पुनश्चर्या का कार्यक्रम चल रहा है। इसमें केरल, असम, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, नगालैंड, छत्तीसगढ़ व पुडुचेरी के 38 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

प्रथम सत्र में 16 दिसंबर को प्रो. आर.के. शुक्ला ने कम्यूनिकेशन सिस्टम विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने विश्व में भारत के विशेष संदर्भ में कम्यूनिकेशन सिस्टम में ऑप्टिकल फाइबर के महत्व को बताया। प्रतिभागी पुनश्चर्या कार्यक्रम के प्रथम फील्ड विजिट के लिए रविवार को रतनपुर स्थित प्रसिद्ध महामाया मंदिर का दर्शन किया। प्रतिभागियों ने निराश्रित, विधवा, खोमचे, पटरी दुकानदार, फूलवाले तथा बालश्रमिक पर प्रश्नावली के माध्यम से अध्ययन किया।

उन्होंने खूंटाघाट जलाशय जाकर वहां वनस्पतियों का अध्ययन डॉ. के.के. चन्द्रा के साथ किया। जलाशय के विह्गम दृश्य एवं हरियाली को देखकर सभी प्रफुल्लित हुए। इस दौरान प्रतिभागियों द्वारा मंदिर एवं जलाशय की तस्वीरें भी लीं गईं।

पुनश्चर्या कार्यक्रम में 17 दिसम्बर को डॉ. बी.आर. होतचंदानी, राज्य मानसिक स्वास्थ्य केन्द्र बिलासपुर ने लाइफ स्टाइल मैनेजमेंट एंड सोशल डेवेल्पमेंट विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने मरीजों के साथ अपने करियर के दौरान हुए अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि हम अपनी जीवन शैली के दुष्प्रभावों के चलते कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। तनाव से मानसिक बीमारी होती है। कारनेग विश्वविद्यालय में हुए शोध के अनुसार तीन दिनों तक लगातार 25 मिनट तक ध्यान करने से तनाव में कमी आती है साथ ही नई ऊर्जा स्फूर्त होती है। जॉन हाप्किंस के शोध के विश्लेषण में भी इस तथ्य की पुष्टि हुई है ध्यान करने के से तनाव में कमी आती है। उन्होंने कहा कि खान-पान की प्रवृत्ति हमारे अच्छे या बुरे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है।  भोजन में फल एवं सब्जियों की अधिकता से हमारा मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है जिससे मानसिक स्वास्थ्य के साथ हमारा शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। वहीं दूसरी तरफ जंक फूड से मोटापा, तनाव, स्मरण शक्ति में कमी आदि की समस्या पैदा होती है। पिछले दशकों में हमने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति की है लेकिन हमें अभी लंबा सफर तय करना है। जिस प्रकार कैंसर के मरीज में ध्रूमपान को छोड़ने के बाद सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं ठीक वैसे ही मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के खान-पान एवं जीवनशैली में बदलाव लाकर भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

द्वितीय व्याख्यान सुनील वातसायन, नाडा फाउंडेशन, नई दिल्ली ने रोल ऑफ सोशल वर्क इन प्रिवेशन एडं ट्रीटमेंट ऑफ नॉन- कम्यूनिकेबल एंड एट्स रिस्क फैक्टर पर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों के दृष्टिकोण से विभिन्न अभ्यास कराए। इस दौरान वातसायन ने प्रतिभागियों को द्विपक्षीय संचार के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने असल जिंदगी में सामाजिक निर्धारक तथ्यों पर भी प्रकाश डाला।

डॉ. वात्सायन ने केयर गिवर्स स्ट्रैस एंड पेशेंट एंगेजमेंट एंड सेफ्टी पर रोचक व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान दौरान वात्सायन ने प्रतिभागियों से सक्रिया संवाद स्थापित किया।

अंतिम सत्र में प्रो. साधना खरे, विभागाध्यक्ष, ईवी कॉलेज, कोरबा ने सामाजिक विकास के सामाजिक आयाम विषय पर व्याख्यान दिया। भारतीय परिपेक्ष्य में उन्होंने कई अहम सामाजिक विकास से जुड़े मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने भारत में हो रहे विकास एवं पड़ोसी देशों में हो रही प्रगति के विषय में भी बात की। सैंद्धांतिक रूप में मौजूद मानव संसाधन एवं अन्य विकास प्रादर्शों पर चर्चा की। प्रतिभागियों ने इस व्याख्यान में सक्रियता से भाग लिया।

 

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