अमर, पुन्नूलाल, धरम और धरमजीत के समर्थकों के हाथ लगी मायूसी, बिलासपुर लगातार दूसरी बार मंत्री पद से वंचित  

बिलासपुर। तमाम अनुकूल और विपरीत परिस्थितियों में अपना जनाधार साबित कर चुके, संयुक्त मध्यप्रदेश के समय से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय रहे बिलासपुर संसदीय सीट के चार वरिष्ठ भाजपा विधायक मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना पाए। अब बिलासपुर, मुंगेली और जीपीएम जिले में उप मुख्यमंत्री अरुण साव अकेले सत्ता के केंद्र में हैं। अनेक बार जीत दर्ज करने वाले विधायकों को शामिल नहीं करने के फैसले को इस बात से जोड़कर देखा जा रहा है कि भाजपा आने वाले लोकसभा चुनाव में युवाओं को आगे रखना चाहती है।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद विष्णुदेव साय ने आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया। पहले ही चरण में उप मुख्यमंत्री अरुण साव को शामिल कर लिया गया था। साव बिलासपुर सीट से सांसद रहते हुए मुंगेली जिले की लोरमी सीट से चुनाव लड़े। वे 45 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीते। इसी जिले की दूसरी सीट मुंगेली से भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक पुन्नूलाल मोहले प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वे सातवीं बार विधानसभा जीतकर पहुंचे हैं। वे चार बार सांसद भी रह चुके हैं। रमन सरकार के कार्यकाल में वे 2008 से 2018 तक मंत्री रहे। उनकी लगातार जीत के रिकॉर्ड को देखते हुए मंत्रिमंडल में उनकी जगह पक्की समझी जा रही थी।  मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होने से पहले उनके मुंगेली के समर्थक उन्हें डिप्टी सीएम बनाने की मांग कर रहे थे। यह ध्यान देने की बात है कि मुंगेली से लगी हुई सीट नवागढ़ हैं, जहां के विधायक दयालदास बघेल को मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
बिलासपुर सीट से अमर अग्रवाल ने सन् 1998 से लेकर अब तक पांचवी बार जीत दर्ज की है। वे छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से बीच के छह माह की अवधि को छोड़कर लगातार रमन मंत्रिमंडल में शामिल थे। सन् 2018 में गंवाई सीट उन्होंने इस बार कांग्रेस से फिर वापस ले ली। इस बार वे रिकॉर्ड 28 हजार वोटों से जीतकर आए। बिलासपुर पुराना संभागीय मुख्यालय है। मध्यप्रदेश के जमाने से यहां से चुने गए सत्तारूढ़ दल के विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिलती रही है। यह परंपरा पिछली बार तब टूटी जब कांग्रेस ने पहली बार निर्वाचित होने का हवाला देते हुए शैलेष पांडेय को मंत्रिमंडल में नहीं रखा। इस बार भाजपा ने भी इस महत्वपूर्ण सीट को मंत्री विहीन रखा है।
बिलासपुर से लगी बिल्हा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले धरमलाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जैसी जवाबदारी निभा चुके हैं। रमन सरकार में उन्हें खासी अहमियत मिली हुई थी। इस बार उन्होंने लगातार दूसरी बार जीतकर बिल्हा सीट का मिथक तोड़ा, जहां एक बार कांग्रेस और दूसरी बार भाजपा को मौका मिलता था। कौशिक 15 वर्ष के भाजपा शासन में कभी मंत्री पद पर नहीं रहे। इस बार भी चूक गए।
बिलासपुर से ही लगी हुई दूसरी सीट बेलतरा है, बेलतरा (पुरानी सीपत सीट) से अब तक कोई मंत्री नहीं बन सका है। इस बार भी यहां मौका नहीं मिला। यहां से सुशांत शुक्ला पहली बार विधायक बने हैं। इस नाम पर विचार नहीं हुआ,  यद्यपि इस बार साय के मंत्रिमंडल में अनेक पहली बार निर्वाचित विधायक रखे गए हैं। उल्लेखनीय है कि बिलासपुर नगर निगम का क्षेत्र बिलासपुर शहर, बेलतरा और बिल्हा विधानसभा में विभाजित है। इन तीनों सीटों से कोई भी विधायक मंत्रिमंडल में या सदन के अन्य किसी महत्वपूर्ण पद पर इस समय नहीं है। पूर्व की भाजपा सरकारों में अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक व डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी को एक साथ मौका मिल चुका है। साथ ही स्व. बद्रीधर दीवान विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
तखतपुर सीट से धर्मजीत सिंह ठाकुर पहली बार भाजपा की टिकट से लड़कर  विधानसभा पहुंचे हैं, पर वे पांचवीं बार के विधायक हैं। वे तीन बार कांग्रेस की टिकट से तथा एक बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की टिकट से भी चुनाव जीत चुके हैं। स्व. अजीत जोगी के मुख्यमंत्रित्व काल में वे विधानसभा उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उनके अनुभव को देखते हुए उम्मीद लगाई जा रही थी कि वे मंत्रिमंडल में स्थान बना लेंगे।
इधर अविभाजित बिलासपुर के जीपीएम जिले, किंतु कोरबा संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली मरवाही सीट छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार भाजपा के हाथ आई है। यहां से पहली बार चुनाव लड़ने वाले प्रणव कुमार मरपच्ची को सफलता मिली। साय मंत्रिमंडल में उन्हें भी जगह नहीं मिली।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में सीमित स्थान होने के कारण प्रत्येक लोकसभा सीट से एक ही नाम लिया जा सकता था। ऐसा केवल बिलासपुर में नहीं बल्कि दूसरे जिलों में भी हुआ, जहां वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री नये मंत्रिमंडल में नहीं लिये जा सके। बिलासपुर संसदीय सीट में उप-मुख्यमंत्री जैसा महत्वपूर्ण दायित्व अरुण साव को सौंपा जा चुका है, जो अब तीन जिलों बिलासपुर, मुंगेली और जीपीएम के नये शक्ति केंद्र के रूप में काम करेंगे। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् तथा युवा मोर्चा के रास्ते से यहां तक पहुचे हैं। उनसे नए-नए युवा बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं के पास उनकी अपनी पुरानी टीम है, जिनके बीच नए लोग मुश्किल से जगह बना पाएंगे। इस समय भाजपा को लोकसभा चुनाव के लिए युवाओं की एक बड़ी टोली चाहिए। साव इस अपेक्षा को पूरी कर सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here