दावा-शराब की खपत ने बीते सात माह में बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ा

बिलासपुर, 31 अगस्त। कंवर समाज द्वारा किये गए बहिष्कार की घोषणा पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक अमित जोगी ने कहा कि ‘संत के पीछे शैतान’ कौन है इसका बहुत जल्द पता चल जायेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा करने वाली सरकार ने शराब की बिक्री में बड़े-बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। छात्रसंघ चुनाव के लिए भी उन्होंने याचिकाएं दायर करने की बात की।

मरवाही के जिस जोगीसार गांव से जोगी आते हैं, उस इलाके के कंवर समाज ने एक सामाजिक बैठक कर जोगी परिवार का बहिष्कार करने की घोषणा की है। यह बैठक शुक्रवार को हुई थी। कंवर समाज ने निर्णय लिया है कि अब जोगी को कोई भी अपना रिश्तेदार बताकर सामाजिक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल करेगा या उनके कार्यक्रम में शामिल होगा उनका न केवल बहिष्कार किया जायेगा बल्कि उन्हें दंडित भी किया जायेगा। इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए आज दोपहर अमित जोगी ने पत्रकार वार्ता रखी थी। उन्होंने कहा कि दस लोगों ने बैठकर जोगी परिवार के बहिष्कार का निर्णय ले लिया गया। इन लोगों को पता चल जायेगा जब जोगी अपने भाई बहू के दशकर्म में आदिवासी रीति-रिवाज के अनुरूप शामिल होंगे। जोगी न केवल कंवर समाज बल्कि पूरे आदिवासी समाज के लिए गौरव हैं। जब पूछा गया कि बहिष्कार करने वाले तो समाज के ही मुखिया लोग हैं न? अमित ने कहा कि संत के पीछे शैतान कौन है, इसका बहुत जल्द पता चल जायेगा। उस व्यक्ति को भी सुप्रीम कोर्ट में पार्टी बनाने के लिए अलग से याचिका दायर की गई है, जिसकी अगले शुक्रवार को सुनवाई होगी।

अमित जोगी ने दावा किया कि केन्द्रीय परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दो दिन पहले जारी किये गए आंकड़े के मुताबिक पिछले सात महीने में छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री के सारे रिकॉर्ड टूट गये हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि छत्तीसगढ़ से पांच-छह गुना ज्यादा बड़े राज्यों से भी ज्यादा बिक्री अपने प्रदेश में हो रही है। हर माह 526 ब्रांड की एक करोड़ प्रूफ लीटर शराब सरकारी दुकान में बिकी और हर माह सरकार को लगभगा 400 करोड़ की आमदनी हुई। शराब ज्यादा बेचने के लिए बिक्री समय भी सरकार ने दो घंटे बढ़ा दिया।

जोगी ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव का घोषणा पत्र में उल्लेख होने के बावजूद अब तक इसकी कोई अधिसूचना सरकार की ओर से नहीं निकाली गई है। अगले हफ्ते हर एक महाविद्यालय और विश्वविद्यालय से इस मामले में उच्च-न्यायालय में याचिका दायर की जायेगी।

 

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