बिलासपुर। कम्पोजिट बिल्डिंग परिसर में कृषि विभाग के दफ्तर के ऊपर पेड़ पर डेरा जमाये उल्लू को हर कोई इन दिनों कौतूहल से देख रहा है। कुछ लोगों ने अपनी मोबाइल फोन से उसकी तस्वीरें भी खींचीं। आम तौर पर पक्षियों को अपने आसपास की हलचलों से घबराहट होती है और वे तुरंत उड़कर दूसरे ठौर पर चले जाते हैं, पर इस अभ्यस्त उल्लू को मनुष्यों की भीड़ से कोई खतरा महसूस नहीं होता है। उल्लुओं का डेरा सिर्फ यहीं नहीं बल्कि कलेक्टोरेट परिसर में साइकिल स्टैंड के पास बने पेड़ों पर, नेहरू चौक और मुख्य डाकघर के पास भी है।

वन्य जीव प्रेमी व वरिष्ठ पत्रकार प्राण चड्ढा बताते हैं कि वे बरसों से इन्हें देखते आ रहे हैं और कई बार इनकी तस्वीरें भी ली हैं। रात में ये आवाज भी करते हैं। कम्पोजिट बिल्डिंग परिसर के बाहर, कलेक्टोरेट आदि में इन्हें रात के वक्त बिना कोलाहल के वीरान जगह में इत्मीनान से विचरण करने को मिल जाता है।

कम्पोजिट बिल्डिंग में मौजूद उल्लू ‘बार्न आउल’ है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है बार्न यानि खलिहालों में रहना इन्हें पसंद है। इनकी ऊंचाई 36 सेन्टीमीटर तक हो सकती है। ये प्रायः सफेद रंग के होते हैं पर छोटे छोटे भूरे दाने भी शरीर में उभरे होते हैं। ये चूहे, छिपकिली, कीड़े-मकौड़े खुद तथा अपने मादा साथी के लिए इकट्ठा करते हैं। ये दुनिया के अधिकांश देशों में पाये जाते हैं हालांकि शारीरिक संरचना जगह के अनुसार कुछ भिन्न हो जाती है। इनकी सामान्य आयु 14 से 17 वर्ष होती है।

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