पटना : बिहार में भाजपा अपने बागी नेताओं से परेशान चल रही है. वहीं 43 नेताओं को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. 24 से अधिक प्रत्याशी एलजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में किस्मत आजमाने उतर पड़े हैं

ये ऐसे नेता हैं, जो मौजूदा या पूर्व विधायक के अलावा प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी हैं. अगर जिलास्तरीय इकाइयों से निष्कासित नेताओं को शामिल करें तो बागियों की संख्या कहीं और अधिक है. भाजपा के गठन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब दल के खिलाफ जाकर इतनी बड़ी संख्या में बागी चुनावी मैदान में डटे हैं. इन बागियों में ढाई दर्जन जदयू के खिलाफ तो दर्जन भर प्रत्याशी भाजपा के खिलाफ ही चुनावी मैदान में डटे हैं.

भाजपा का नारा पार्टी विथ डिफरेंस का है. चुनाव में उम्मीदवार घोषित होने तक पार्टी नेताओं में मतभिन्नता होती रही है. लेकिन जैसे ही आलाकमान की ओर से किसी नेता को उम्मीदवार बना दिया जाता है, सभी आपसी मतभेद भूलाकर पार्टी को जीत दिलाने में लग जाते हैं. लेकिन इस बार यह मिथक टूट गया. सीट गठबंधन के अन्य घटक दलों के हिस्से में जाने पर भाजपा के नेताओं ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया और चुनावी मैदान में डटे हैं. दर्जन भर सीटों पर ऐसी स्थिति है कि जहां भाजपा के नेता पार्टी की ओर से घोषित अधिकृत उम्मीदवार का नाम सामने आते ही बगावत कर अपनी ही पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में डटे हैं.

पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनाव में बागियों पर अंकुश लगाने के लिए पार्टी मुकम्मल तैयारी करती थी. जैसे ही, कोई निर्दलीय या दूसरे दलों से नामांकन करने की कोशिश करते थे कि उनसे बातचीत की जाती थी. पार्टी के आलानेता हस्तक्षेप कर वैसे बागियों को मनाने की कोशिश करते थे. इस बार भी पार्टी ने कुछेक नेताओं से संवाद शुरू किया, लेकिन बागियों के तेवर नरम नहीं हुए. नतीजा यह हुआ कि दल के तीन दर्जन से अधिक नेता आज किसी न किसी दल या निर्दलीय ही चुनावी मैदान में डटे हैं. कहीं कोई एनडीए के अन्य घटक दलों के खिलाफ चुनावी मैदान में डटा है तो कहीं भाजपा के खिलाफ ही चुनावी मैदान में है.

 

लोजपा ने दिया प्लेटफार्म

भाजपा के बागियों को लोजपा ने भरपूर मौका दिया है. साल 2015 के चुनाव में भाजपा 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इस बार पार्टी 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 47 कम सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा कुछ ऐसी भी सीटें हैं जो भाजपा की परम्परागत सीटें रही है पर वहां से अभी जदयू, वीआईपी या हम चुनाव लड़ रही है. ऐसे में पार्टी नेताओं ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए दूसरे दलों का दामन थामना शुरू किया. उनके लिए सबसे मुफीद जगह लोजपा मिली. बागियों में दो दर्जन उम्मीदवार लोजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.

मुख्यालय स्तर पर पार्टी से हुआ निष्कासन

अनिल कुमार, अजय प्रताप, इंदू कश्यप, उषा विद्यार्थी, राजेन्द्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया, रवीन्द्र यादव, श्वेता सिंह, मृणाल शेखर, आशा देवी, भाई दिनेश, श्रीकांत निराला, शशि भूषण कुमार बब्लू, रामदेव महतो, व्यासदेव प्रसाद, कामेश्वर सिंह, तारकेश्वर सिंह, राणा सुधीर सिंह, ललन कुंवर, शत्रुघ्न तिवारी उर्फ चोकर बाबा, मनोज कुमार सिंह, देवरंजन सिंह, रामानंद राम, राकेश ओझा, विजय कुमार गुप्ता, अजय कुमार सिंह, प्रदीप दास, राघव शरण पांडेय, विभाष चंद्र चौधरी, विश्वमोहन कुमार, किशोर कुमार मुन्ना, चंद्रभूषण ठाकुर, परमानंद ऋषिदेव, अमन पासवान, विजय साह, वीरेन्द्र चौधरी, प्रमोद चंद्रवंशी, जितेन्द्र स्वामी, राकेश कुमार सिंह, प्रो अजीत कुमार सिंह, संजय सिंह, रेणु कुमारी व चंद्रशेखर सिंह बबन

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