नये कृषि विधेयक पर सांसद का अधिवक्ताओं के साथ संवाद

बिलासपुर। सांसद अरुण साव ने कहा कि कृषि विधेयक बिल किसानों को आत्मनिर्भर और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला कानून है। यह किसानों को बंधनों व शोषण से मुक्ति दिलाने वाला कानून है। इससे एक ओर जहां किसानों की आय दोगुनी होगी, वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अब किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिलेगा।

साव मंगलवार की शाम को नेहरू चौक स्थित अपने शासकीय आवास सह कार्यालय में आयोजित “नये कृषि कानून पर अधिवक्ताओं के साथ परिचर्चा” को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि समाज को सही दिशा देने की महती जिम्मेदारी अधिवक्ताओं की होती है। समाज की इस बात पर पैनी नज़र होती है कि कानूनविद कहलाने वाले वकील खुद कानून का पालन कर रहे हैं या नहीं। संसद द्वारा पारित नया कृषि कानून देश को आत्मनिर्भरता की दिशा में कहां से कहां ले जाएगा, इसकी कल्पना अधिवक्ता भली-भांति कर सकते हैं, क्योंकि अधिकांश अधिवक्ता भी कृषि से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं। आजादी के पहले इस देश में किसानों की उपज की खरीदी किस तरह होती थी, यह हम सभी जानते हैं। एक व्यक्ति पूरे गांव की उपज को अकेले खरीदता था। इसलिए उस गांव के सभी किसानों की निर्भरता उसी व्यक्ति पर होती थी। आजादी के बाद 1960-70 के दशक में किसानों पर वर्षों से हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ वातावरण तैयार हुआ। फलस्वरूप 1971 में तत्कालीन सरकार ने कृषि मंडी अधिनियम लाया, लेकिन किसानों की स्थिति तब भी नहीं सुधरी।

साव ने कहा, 1991 में आर्थिक व्यवस्था में सुधार व उदारीकरण की बातें हुईं, लेकिन नतीजा ज्यों का त्यों रहा। आजादी के इतने वर्षों बाद पहली बार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने कृषि क्षेत्र में इतना बड़ा परिवर्तन लाया है। नया कृषि विधेयक बिल किसानों को सभी बंधनों से मुक्त कर सशक्त व सबल बनाने वाला कानून है। अब किसान “वन नेशन-वन मार्केट” के चलते अपनी मर्जी से अपनी उपज जहां चाहे वहां बेच सकते हैं। मंडी में ही उपज बेचने की बाध्यता तो मोदी सरकार ने खत्म कर दी है। इस कानून से किसानों को मंडी टैक्स, परिवहन चार्ज सहित अनेक परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं बिक्री के तीन दिनों के भीतर उपज का वाजिब दाम भी मिल जाएगा। इससे संबंधित विवादों के निपटारे के लिए भी 30 दिनों की समय-सीमा तय कर दी गई है। जो खुद खेती नहीं कर ठेका पद्धति पर दूसरे कृषकों से खेती कराते हैं, उनके लिए भी इस कानून में राहत है। कानूनी तौर पर प्रावधान किया गया है जिसके कारण जमीन की मिल्कियत पर नहीं बल्कि सिर्फ सेवा पर करार होगा, इसलिए जोखिम कम होगा।

आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी सुधार किए गए हैं। अब युद्ध, अकाल जैसी अन्य विषम परिस्थितियों में ही सरकार अनाज के विनिमय व भंडारण पर नियंत्रण रखेगी। कृषि कानून को लेकर विपक्षियों द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोपों को बेबुनियाद बता सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा विपक्ष किसानों को भ्रमित करने के षड्यंत्र में लगा हुआ है, लेकिन इसमें सफलता मिलने से रही। 21 वीं सदी का किसान अपने हित-अहित में फर्क करना जानता है।

कार्यक्रम को जिला भाजपाध्यक्ष  रामदेव कुमावत, वरिष्ठ अधिवक्ता वी.वी.एस. मूर्ति, संतोष सोनी, यशवंत सिंह ठाकुर ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन शशांक ठाकुर ने किया।

इस मौके पर अधिवक्ता अरुण सिंह, आशीष शुक्ला, राजकुमार गुप्ता, संजीव पांडेय, आशुतोष कछवाहा, अमित शर्मा, सुखीराम साहू, दिनेश वर्मा, नितिन कुमार, सुनीता मानिकपुरी, शोभा कश्यप,अनुराग कश्यप, मनीष कुमार, रोहिषेक वर्मा, सूर्यकांत शर्मा, मनोज मिश्रा, अन्नपूर्णा तिवारी, विश्वजीत, रणबीर सिंह, शशांक ठाकुर, परमेश्वर पटेल, प्रमोद श्रीवास्तव, धर्मेश श्रीवास्तव, रवि मेहर, अनिल पांडेय, राकेश मिश्रा, अविनाश पांडेय  आदि अधिवक्ता उपस्थित थे।

 

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