हाईकोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका पर जवाब देना है सरकार को

बिलासपुर। बिलासपुर में हवाई सेवा उपलब्ध कराने के लिए आज से अनिश्चितकालीन धरने की शुरूआत हो गई है। यह धरना हर दिन दो घंटे राघवेन्द्र राव सभा भवन के सामने दिया जायेगा। धरना आंदोलन में कई चेहरे वे हैं जिन्होंने रेलवे जोन आंदोलन और विश्वविद्यालय स्थापना के लिए संघर्ष किया था। इनमें एक दो चेहरे भाजपा के हैं पर ज्यादातर कांग्रेस के लोग जुटे। ऐसे में जब प्रदेश में सत्ता कांग्रेस की है, बहुत जल्दी बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू करने की घोषणा हो सकती है। सांसद अरूण साव ने भी अपने प्रयासों के चलते उम्मीद जताई है कि बहुत जल्दी चकरभाठा से हवाई सेवा शुरू हो जायेगी।

बिलासपुर में हवाई सेवा शुरू करने की मांग लम्बे समय से हो रही है। केन्द्र की उड़ान योजना के तहत देश के 56 ऐसे हवाई पट्टी जिनमें थोड़े विस्तार के बाद छोटे विमान उतारे जा सकते हैं, उनमें जगदलपुर, अम्बिकापुर, रायगढ़ और बिलासपुर भी छत्तीसगढ़ से शामिल किये गये थे। एयर ओडिशा ने सात शहरों के लिये जिनमें उपरोक्त चार शहरों के अलावा रायपुर, झारसुगुड़ा और विशाखापट्टनम के लिए एयरपोर्ट एथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ अनुबंध किया था लेकिन विमान संचालन के लिए छत्तीसगढ़ में सिर्फ जगदलपुर को जोड़ा जा सका। एयर ओडिशा ने विमान के संचालन की शर्तों के मुताबिक सितम्बर 2018 से अक्टूबर 2018 तक 70 फीसदी उड़ाने नहीं भरीं, नवम्बर 2018 में तो उसने हाथ ही खड़े कर दिये, जिसके बाद एएआई ने उसके साथ अनुबंध निरस्त कर दिया। इसी दौरान बिलासपुर को हवाई सेवा से वंचित करने को लेकर पत्रकार कमल दुबे व हाईकोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसियेशन ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर कर दी, तब यह बात खुली कि बिलासपुर हवाई अड्डे पर 22 सीटर से अधिक बड़े विमानों को उतारा ही नहीं जा सकता और यहां सुरक्षा, रन वे की चौड़ाई सहित कई खामियां बची रह गई हैं। हाईकोर्ट में याचिका को लेकर बार-बार सुनवाई हुई जिसके बाद चकरभाठा स्थित हवाई पट्टी पर लगातार काम कराये गये। इसके बाद डीजीसीए ने दिसम्बर 2018 में चकरभाठा के लिए लाइसेंस भी जारी कर दिये। लाइसेंस जारी होने के बाद हाईकोर्ट ने मामला निराकृत कर दिया क्योंकि हाईकोर्ट में सम्बन्धित पक्षों ने यह भी बताया था कि विमान संचालन के लिए सभी आवश्यक औपचारिकताओं  को पूरा कर लिया गया है और एयरलाइंस कम्पनियों से प्रस्ताव मांगे गये हैं। विमान का संचालन शीघ्र शुरू हो जायेगा। इस आश्वासन के एक साल बाद भी चकरभाठा एयरपोर्ट से विमानों का संचालन शुरू नहीं हो सका। इसे देखते हुए हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका फिर पत्रकार कमल दुबे ने ही अपने अधिवक्ता के माध्यम से दायर की। इसकी सुनवाई सितम्बर माह में हुई थी जिसमें एयरपोर्ट एथॉरिटी, सिविल एवियेशन डिपार्टमेंट और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस बीच दीपावली अवकाश और अन्य कारणों से याचिका पर अगली सुनवाई नहीं हो सकी है और पुनर्विचार याचिका हाईकोर्ट में लम्बित है। दीपावली अवकाश के बाद किसी तिथि में केन्द्र सहित राज्य सरकार को एक बार फिर हाईकोर्ट में अपना जवाब प्रस्तुत करना है।

इसे ही देखते हुए बताया जा रहा है कि कुछ नई एयरलाइंस कम्पनियों ने जगदलपुर और बिलासपुर में हवाई सेवा शुरू करने के लिए दिलचस्पी दिखाई है। संभव है जगदलपुर और उसके कुछ दिन के बाद बिलासपुर में हवाई सेवा शुरू हो जाये।

बिलासपुर के सांसद अरूण साव (भाजपा)

सांसद अरूण साव का कहना है कि 22 सीटर विमान बहुत कम कम्पनियों के पास है, जितनी बिलासपुर एयरपोर्ट की क्षमता है। वे केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं साथ ही एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी पत्र लिखकर इस दिशा में जल्दी कार्रवाई करने की अपेक्षा की है। साव ने आम चुनाव जीतने के बाद बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू को अपनी प्राथमिकता बताई थी। साव ने कहा कि हवाई सेवा शुरू करने में केन्द्र व राज्य दोनों की मिली-जुली भागीदारी होती है। सभी हवाईअड्डे राज्य सरकारों के ही है।

धरना शनिवार 26 अक्टूबर से शुरू हुआ है जो हर दिन दो घंटे सुबह 10 से 12 बजे तक दिया जायेगा। धरना ‘अखंड’ है यानि हवाई सेवा शुरू होने तक दिया जायेगा।  पहले दिन धरनास्थल पर सुदीप श्रीवास्तव, मनोज तिवारी, बब्बी भंडारी, पंकज सिंह, रामशरण यादव, अभिषेक सिंह, बद्री यादव, देवेंद्र सिंह (बाटू), कमल सिंह, गोपाल दुबे आदि मौजूद थे। इनके अलावा भाजुयमो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुशांत शुक्ला ने भी धरना आंदोलन में साथ दिया। आंदोलन के संयोजक सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि आंदोलन में किसी एक दल के लोग नहीं हैं बल्कि बिलासपुर के हित की चिंता करने वाले सभी दलों के लोग शामिल हैं।

ज्ञात हो कि बिलासपुर, राजधानी रायपुर के बाद छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बिलासपुर में हाईकोर्ट के अलावा रेलवे जोन मुख्यालय, कोलफील्ड्स मुख्यालय, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राज्य के तीन विश्वविद्यालय, एनटीपीसी संयंत्र, अपोलो हास्पिटल, मेडिकल कॉलेज आदि स्थापित हैं। इसके चलते बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू करने की मांग लगातार होती रही है। राज्य बनने के बाद बिलासपुर की लगातार उपेक्षा किये जाने का आरोप भी पूर्व की सरकारों पर लगे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां से किसी विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने को लेकर पूछे जाने पर कहा था कि वे बिलासपुर का विशेष ध्यान रखेंगे। अभी नगर-निगम सीमा का बहुप्रतीक्षित विस्तार हो चुका है। संभव है, नगरीय चुनाव की घोषणा से पहले हवाई सेवा शुरू कर वे एक और तोहफा बिलासपुर के लोगों को दें। आंदोलनकारियों का कहना है कि अनेक बड़े संस्थानों के होने के बावजूद बिलासपुर के नागरिकों के साथ अन्याय हो रहा है जबकि गुजरात प्रत्येक 125 किलोमीटर की दूरी पर एक एयरपोर्ट और विमान सेवा है।

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