रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को किया था परीक्षण, अब दो गाड़ियों के बीच आमने-सामने से टक्कर नहीं होगी
बिलासपुर। ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिये स्वदेशी तकनीक कवच से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के स्टेशन लैस रहेंगे। बीते दिनों रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस तकनीक  का परीक्षण किया था।

भारतीय रेलवे के दिल्ली–हावड़ा, हावड़ा–मुंबई, मुंबई–दिल्ली, दिल्ली–गुवाहाटी, दिल्ली–चेन्नई, चेन्नई–हावड़ा एवं चेन्नई–मुंबई जैसे 7 अत्यंत व्यस्त रूट पर कवच की तैनाती जा रही है। दिल्ली हावड़ा और मुम्बई रूट से जुड़े होने के कारण एसईसीआर जोन के सभी स्टेशन इस तकनीक से लैस हो रहे हैं।

कवच भारत में तैयार, अनुसंधान, डिजाइन की गई और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी प्रणाली है। भारतीय रेलवे में ट्रेन संचालन में सुरक्षा के कॉर्पोरेट उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दक्षिण मध्य रेलवे में इसका परीक्षण किया गया। यह अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा प्रणाली है ।

कवच ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पास करने और टक्कर से बचने के लिए सुरक्षा प्रदान करता है। यदि चालक गति प्रतिबंधों के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो यह ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को स्वचालित रूप से सक्रिय कर देता है। इसके अलावा, यह कार्यात्मक कवच प्रणाली से लैस दो इंजनों के बीच टकराव को रोकता है ।

‘कवच’ सबसे सस्ती, सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (एसआईएल -4) प्रमाणित तकनीकों में से एक है, जिसमें त्रुटि की आशंका लगभग नहीं है । साथ ही, यह रेलवे के लिए इस स्वदेशी तकनीक के निर्यात के रास्ते भी खोलता है।

यह तकनीक खतरे में सिग्नल पासिंग की रोकथाम करेगी।

ड्राइवर मशीन इंटरफेस (डीएमआई), लोको पायलट ऑपरेशन कम इंडिकेशन पैनल (एलपीओसीआईपी) में सिग्नल पहलुओं की यह प्रणाली प्रदर्शन करता रहेगा, जो ट्रेनों की सूचना भी नियंत्रण करने वाले इंजीनियरों तक लगातार पहुंचायेगा। ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिए इसमें स्वचालित ब्रेक प्रणाली लगी रहेगी। समपार फाटकों के पास पहुंचते समय अपने-आप सीटी बजने लगेगी। कार्यात्मक कवच से लैस दो इंजनों के बीच टकराव की रोकथाम होगी और आपातकालीन स्थितियों के दौरान संदेश भेजेगा। नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत निगरानी परिचालन के दौरान होती रहेगी। 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के लिए 2 हजार किलोमीटर नेटवर्क को कवच के तहत लाया जाएगा। कवच के तहत लगभग 34,000 किलोमीटर नेटवर्क लाया जाएगा ।

उल्लेखनीय है कि रेल मंत्री वैष्णव ने सिंकदराबाद मंडल में बीते 4 मार्च को कवच सुरक्षा तकनीक का सफल परीक्षण किया गया है। ट्रायल के दौरान दोनों लोकोमोटिव एक दूसरे की ओर बढ़ रहे थे, जिससे आमने-सामने टक्कर की स्थिति पैदा हो गई थी। ‘कवच’ प्रणाली ने स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम की शुरुआत की और इंजनों को 380 मीटर की दूरी पर रोक दिया। साथ ही, लाल सिग्नल को पार करने का परीक्षण किया गया; हालांकि, लोकोमोटिव ने लाल सिग्नल को पार नहीं किया क्योंकि ‘कवच’ के लिए ब्रेक लगाना अनिवार्य हो गया था। गेट सिग्नल के पास आने पर स्वचालित सीटी की आवाज तेज और स्पष्ट थी। परीक्षण के दौरान चालक दल ने ध्वनि और ब्रेकिंग सिस्टम को मैन्युअल रूप से नहीं छुआ।

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