भिलाई। मैत्री बाग में 9 साल के सफेद बाघ किशन का निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित था, जिसका इलाज काफी दिनों से चल रहा था। जिला प्रशासन दुर्ग व वन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में उसका पोस्टमार्टम कर दाह संस्कार किया गया।

किशन का जन्म मैत्री बाग में ही सन् 2013 में हुआ था। इसके पिता का नाम सुंदर और मां का मंगला नाम था। बाघ को पिछले कुछ महीनों से कैंसर था, जिसका इलाज मैत्री बाग तथा अंजोरा स्थित पशु चिकित्सालय के डॉक्टर कर रहे थे। काफी प्रयासों के बाद भी उसे मंगलवार को बचाया नहीं जा सका।

मैत्री बाग में किशन और सफेद बाघिन गंगा के बीच काफी प्रेम था। दोनों ने सात साल एक दूसरे के साथ गुजारे पर कभी एक-दूसरे पर हमला नहीं किया। जब गंगा गर्भवती हो गई तो उसे अलग केज में रखा गया। इसके बावजूद दोनों एक दूसरे को देखते रहते थे। गंगा इस समय मैत्री बाग में स्वस्थ है।

भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर से स्थापित मैत्री बाग का नाम भारत-रूस मैत्री का प्रतीक है। यहां के उद्यान व चिड़ियाघर में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। सफेद शेरों की प्रजाति को बढ़ाने में भिलाई इस्पात संयंत्र की बड़ी भूमिका रही है। किशन की मौत से जू का प्रबंधन देख रहे कर्मचारियों में मायूसी है।

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