बिलासपुर। फर्जी डिग्री बांटने और अनुमति के खिलाफ जाकर कोर्स चलाने को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में चार अवसर दिए जाने के बावजूद जवाब नहीं देने पर हाई कोर्ट की डबल बेंच ने डॉ. सी वी आर यूनिवर्सिटी, यूजीसी, उच्च शिक्षा विभाग सहित 11 प्रतिवादियों पर एक-एक लाख रुपया जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर की पूर्व सहायक प्राध्यापक डॉ. आरती सिंह की ओर से एक जनहित याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 10 माह पूर्व दायर की गई। इसमें विभिन्न दस्तावेजों के जरिए मोटे तौर पर बताया गया कि सी वी रमन यूनिवर्सिटी ने अनुमति मिलने की प्रत्याशा में ऐसे कोर्स की फीस वसूली और डिग्री बांटी जिनकी उसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और शिक्षा विभाग से अनुमति ही नहीं थी। एक ऐसे छात्र का भी उन्होंने अंकसूची जारी कर दिया जिसे सभी परीक्षाओं में शामिल होना बताया गया था किंतु उसकी एडमिशन लेने के बाद मौत हो चुकी थी। जिला पंचायत बिलासपुर में  प्रतिभागियों का चयन करने के बाद उनकी डिग्री का सत्यापन करने के लिए सी वी रमन यूनिवर्सिटी भेजा गया लेकिन अनेक डिग्री सत्यापित नहीं कर पाए जबकि इसके फर्जी होने के बारे में भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। महाराष्ट्र में इनके विरुद्ध फर्जी डिग्री बांटने के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हुई है जबकि गुजरात में बिना अनुमति स्टडी सेंटर खोलने पर कार्रवाई हुई है।

याचिकाकर्ता डॉ आरती सिंह के अधिवक्ता रोहित शर्मा ने बताया कि इस मामले में यूनिवर्सिटी के कुलपति, कुलसचिव, केंद्रीय उच्च शिक्षा विभाग, राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिकारियों सहित 11 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है। इनमें से किसी ने भी कोर्ट में जवाब प्रस्तुत नहीं किया और बार-बार समय मांगा। पिछली सुनवाई 17 अगस्त को हुई। इसमें भी प्रतिवादियों के अधिवक्ताओं ने जिनमें राज्य व केंद्र शासन के भी अधिवक्ता शामिल थे, की ओर से जवाब देने के लिए फिर समय मांगा गया। याचिकाकर्ता की ओर से इस पर आपत्ति करते हुए डबल बेंच का ध्यान आकृष्ट कराया गया की बार-बार समय देने के बावजूद जवाब प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ असहयोग किया जाना है। कोर्ट ने इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए सभी 11 प्रतिवादियों को जवाब देने के लिए अंतिम मौका दिया और 20 सितंबर के सप्ताह के दौरान जवाब प्रस्तुत करने कहा। साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी‌ कि जवाब नहीं देने वाले प्रत्येक प्रतिवादी पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा और राशि याचिकाकर्ता को दी जाएगी।

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