बिलासपुर। 10 मई 1857 को हुए अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों के विद्रोह को याद करने के लिए कांग्रेस भवन में एक सभा शुक्रवार को रखी गई। कांग्रेसजनों ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उस दौर की घटनाओं और वीरों को याद किया।

जिला कांग्रेस व शहर कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रथम क्रांति दिवस के विद्रोह पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।  कार्यक्रम के अध्यक्ष माधव ओत्तलवार  व संयोजक सैय्यद ज़फ़र अली ने कहा कि 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। मेरठ कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने भी विद्रोह को आसपास के क्षेत्रो में फैलाया। यह विद्रोह लगभग 14 माह प्रभावी रहा।  इसका दूरगामी परिणाम निकला 90 वर्ष बाद, जब देश आज़ाद हुआ। विद्रोह की पृष्ठभूमि 29 मार्च को मंगल पांडेय ने तैयार कर दी थी, जिसने जनता, किसान, मजदूर और प्रताड़ित राजाओं के मन में विद्रोह की आग धधका दी थी। जरूरत थी चिंगारी की जिसे धन सिंह गुर्जर और मंगल पांडेय ने पूरी की ।

एस एल रात्रे, शैलेंद्र जायसवाल ब्रजेश साहू ने कहा कि विद्रोह का तात्कालिक कारण चर्बी युक्त कारतूस था ,जो गाय और सुअर के थे। इस विद्रोह का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया और बड़े बड़े रण बांकुरों ने भूमिका अदा की जिनमें महारानी लक्ष्मी बाई,नाना साहब, तात्या टोपे, वाजिद अली आदि शामिल थे। सभा को ऋषि पांडेय ने भी सम्बोधित किया ।

कार्यक्रम में विनोद शर्मा, त्रिभुवन कश्यप, चन्द्रशेखर मिश्रा, आशा पांडेय, सुभाष ठाकुर, मनोज शर्मा, कमलेश लव्हात्रे, धर्मेंद्र शुक्ला, सुभाष सराफ, जिनेश जैन, दीपक रायचेलवर, राजेश शर्मा, अजय काले, पुष्पेंद्र मिश्रा, विष्णु कौशल, लखन श्रीवास, राजेश यादव, अन्नुपूर्णा यादव, डी के यादव, मिथलेश सेंदरी, मुकेश, मधु भास्कर, शकुंतला साहू, सचिन सराफ, करम गोरख, राहुल दुबे आदि उपस्थित थे।

 

 

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