केवल बिलासपुर जिले में 39 मामले, प्रदेशभर में ऐसे अनेक

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सालसा ने लिये नये मामले, सवा पांच करोड़ बांटे

बिलासपुर। यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं और उनके आश्रितों को जिला प्रशासन क्षतिपूर्ति राशि नहीं दिला पा रहा है। गृह विभाग को जिले से दो साल के भीतर बार-बार पत्र भेजा गया लेकिन राशि भेजना तो दूर पत्रों का जवाब नहीं आया।

यौन अपराध व एसिड अटैक की शिकार महिलाओं, नाबालिगों, बच्चों, के लिये तथा हत्या, हत्या के प्रयास जैसे गंभीर अपराधों में हुए नुकसान के क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान सन् 2011 में किया गया था। पहले यह राशि अधिकतम एक लाख रुपये थी। बाद में अलग-अलग श्रेणी के पीड़ितों को इसमें जोड़ा गया और राशि बढ़ाकर 10 लाख तक कर दी गई। उच्चतम न्यायालय द्वारा 5 सितम्बर 2018 को एक आदेश पारित किया गया तब 2 अक्टूबर 2018 से यौन उत्पीड़न के प्रकरणों में प्रक्रिया संचालित करने की जिम्मेदारी विधिक सेवा प्राधिकरण को दी गई। इसके पहले के प्रकरणों में जिला प्रशासन की ओर से राशि का आबंटन किया जाता था। सन् 2011 से 2018 के बीच बिलासपुर जिला प्रशासन के पास आये 39 प्रकरणों पर कोई क्षतिपूर्ति प्रदान नहीं की गई है। इनमें से अधिकांश मामले यौन उत्पीड़न के हैं।

डिप्टी कलेक्टर अंशिका पांडेय के अनुसार राशि जारी करने के लिये दो साल के भीतर 14 बार गृह विभाग को पत्र भेजा गया है लेकिन राशि नहीं मिली है। कलेक्टर की ओर से भी गृह विभाग के संज्ञान में यह बात लाई जा चुकी है।

अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने भी जिला प्रशासन से जानकारी मांगी है कि कुल कितने आवेदनों में कितनी राशि का आबंटन किया जाना बाकी है और पीड़ितों को राशि क्यों नहीं दी गई है। उनका कहना है कि 39 मामले सिर्फ बिलासपुर जिले के हैं, प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी तरह अनेक पीड़ितों को भुगतान के लिये लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है। वह पूरे प्रदेश से इस सम्बन्ध में जानकारी जुटा रही हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिप्रेक्ष्य में 4 फरवरी 2019 को राजपत्र में अधिसूचना जारी की, जिसके अंतर्गत 2 अकटूबर 2018 के बाद आने वाले यौन उत्पीड़न सम्बन्धी आवेदनों पर जिला विधिक सहायता समिति अथवा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में विचार किया जा रहा है। विधिक सहायता अधिकारी शशांक शेखर दुबे के अनुसार राज्य सरकार की ओर से 6 करोड़ रुपये अक्टूबर 2018 के बाद मिले आवेदनों के लिए आबंटित किये गये हैं। पहले यह राशि त्रुटिवश जिला प्रशासन के पास भेज दी गई थी जिसे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के खाते में अक्टूबर 2020 को प्राप्त किया गया। इस राशि से 182 प्रकरणों में 5 करोड़ 25 लाख 60 हजार रुपये का भुगतान किया जा चुका है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भी अभी छह सौ से अधिक मामले विचाराधीन है। इनमें से कुछ की रिपोर्ट नहीं आई है, कुछ मामलों में अदालतों का निर्णय नहीं आने के कारण केवल 25 प्रतिशत अंतरिम भुगतान किया गया है। प्रकरणों पर विचार कर भुगतान की प्रक्रिया आवेदन आने के साथ-साथ अपनाई जा रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here