लीक होने के सवाल पर कहा-चार हजार पेज का दस्तावेज चार दिन में कैसे पढ़ा जा सकता है?

बिलासपुर, 14 नवंबर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने झीरम घाटी जांच आयोग पर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि सरकार को यह जस्टिस प्रशांत मिश्रा से पूछा जाना चाहिये कि उन्होंने मुझे क्यों रिपोर्ट सौंपी, मैं कोई पोस्टमैन नहीं हूं। मैंने विधिक सलाहकारों से पूछा तो उन्होंने राय दी कि रिपोर्ट मुझे सरकार को सौंप देनी चाहिये, तो मैंने उसे भेज दिया।

जब पूछा गया कि राज्य सरकार के मंत्री तो आयोग की रिपोर्ट लीक हो जाने की बात कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि 4 हजार 180 पेज की रिपोर्ट को कोई चार दिन में कैसे पढ़ सकता है। यह अधूरी है या पूरी यह सरकार से ही पूछना चाहिये। रिपोर्ट जिस स्थिति में मिली थी, उसी में सरकार को भेजी गई है। रिपोर्ट खुली हुई थी।

ज्ञात हो कि झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने राज्यपाल को सौंपी थी, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था। सरकार का कहना था कि आयोग की रिपोर्ट उसे सौंपी जानी थी। चार दिन बाद यह रिपोर्ट राज्यपाल ने मुख्य सचिव के पास भेज दी थी।

सुश्री उइके ने कहा कि मीडिया में लगातार राज्य में धर्मांतरण होने की खबरें आ रही हैं और मुझे भी शिकायत मिल रही है। बस्तर के समाज प्रमुखों ने मुझसे राजभवन में मिलकर कहा कि उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यदि ठोस सबूत मिलते हैं तो धर्मांतरण के खिलाफ बनाये गये सख्त कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिये। प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध है।

राज्यपाल उइके वनवासी विकास समिति द्वारा बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस में शामिल होने के लिये पहुंची थीं।

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