ढाई करोड़ रुपये फूंके गये थे प्लांटेशन में, रख-रखाव के लिये लगातार निकाली गई राशि

बिलासपुर। वृक्षारोपण के मॉडल प्रोजेक्ट को देखने के लिये जबलपुर से पहुंची टीम तब हैरान रह गई जब मौके पर उन्हें बंजर जमीन देखने को मिली। वन मंडल के अधिकारियों ने यह सफाई तो दी कि जिला प्रशासन ने उस जमीन को समतल करा दिया, जिसके चलते पौधे नष्ट हो गये लेकिन वे यह नहीं बता सके कि इसके मेंटनेंस के लिये बीते पांच सालों में भारी-भरकम राशि का खर्च होना कैसे दर्शाया गया है।

उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान (टीएफआरआई) जबलपुर, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के अधीन एक संगठन है जो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में वन प्रबंधन पर शोध करती है और वनीकरण में आने वाली समस्याओं का समाधान सुझाती है। संस्थान की वैज्ञानिक दीपिका सेंगर व वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के.एस. सेंगर ने दो दिनों तक उन स्थानों का दौरा किया, जहां बिलासपुर वन मंडल ने प्लांटेशन की अच्छी गुणवत्ता होने की रिपोर्ट तैयार की है। इस टीम ने मस्तूरी व रतनपुर में किये गये पौधारोपण का निरीक्षण किया। मस्तूरी के सेलर में उन्होंने पाया कि पांच साल पहले जिस 30 हेक्टेयर भूमि पर प्लांटेशन के लिये कैम्पा मद से 2.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे, वहां अब पौधे तो क्या ठूंठ भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। जबकि इस जगह पर प्लांटेशन के सफल होने की रिपोर्ट बताकर लगातार मेंटनेंस के लिये राशि खर्च की जा रही है। मेंटनेंस के लिये खर्च की गई राशि भी दो-ढाई करोड़ के आसपास बताई जा रही है। टीम ने पूछा तब स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस जमीन को जिला प्रशासन ने समतल करा दिया, जिसके कारण पौधे नष्ट हो गये लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं था कि जब पौधे नष्ट हो चुके हैं तो रख-रखाव के नाम पर राशि कैसे खर्च की जा रही है।

सीसीएफ नावेद सिद्दीकी साउद्दीन ने कहा है कि टीम ने कई स्थानों पर पौधारोपण की जांच की है। वे मिट्टी की गुणवत्ता की भी जांच करने आये हैं। इसका सैंपल भी लेकर वे जायेंगे।

 

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