बिलासपुर। मरवाही की आदिवासी समुदाय की महिलाओं द्वारा निर्मित लाख की चूड़ियां अब मुख्यमंत्री निवास में सजेंगी और यहां आने जाने वाले लोगों को आकर्षित करेंगी। इन चूड़ियों की बिक्री से उनकी आय भी बढ़ेगी।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मरवाही वनमंडल के डीएफओ ने मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने मरवाही की अनुसूचित जनजाति की महिलाओं द्वारा निर्मित लाख की चूड़ियां भेंट की। इन चूड़ियों की वे पहले भी तारीफ कर चुके हैं। गनियारी, बिलासपुर में उन्हें स्किल सेंटर के उद्घाटन के दौरान ये चूड़ियां दिखाई गई थीं। उन्होंने कहा था कि पहले ये बाहर से आती थीं अब हमारी बहनें इसका निर्यात करेंगी। उन्हें यहां पर भी देवसेना समूह मरवाही की महिलाओं ने लाख की चूड़ियां भेंट की थी, जिसके लिए उन्होंने पारितोषिक स्वरूप 500 रुपये दिये थे। अब उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि उनके निवास स्थल पर इन लाख की चूड़ियों का स्टाल लगाया जाये।
मालूम हो कि मरवाही की देवसेना समूह की महिलाओं द्वारा लाख की चूड़ियों का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिये समूह की महिलाओं ने मरवाही वनमंडल के ईएसआईपी परियोजना अंतर्गत बकायदा प्रशिक्षण भी लिया है। ग्राम बरगवां की रेणु, सियावती, जयकुमारी, दानीकुंडी की नीता बाई कोरवा, केशकली श्याम, कृष्णकुमारी पाव, सियावती आदि महिलायें लाख चूड़ी निर्माण में निपुण हैं।

बिलासपुर कलेक्टर डॉ.संजय अलंग की पहल पर स्थानीय मैग्नेटो मॉल में समूह को स्टॉल उपलब्ध कराया गया है। यहां वे अपनी चूड़ियों की बिक्री कर सकेंगीं।
उल्लेखनीय है कि मरवाही क्षेत्र में रंगीन लाख बहुतायत से होता है। अब तक व्यापारियों द्वारा इसे सस्ते में खरीदकर मंहगे दामों में बाहर बेचा जाता था । क्षेत्र में पहली बार लाख का मूल्य वर्धित कर इसे लघु व्यवसाय के रूप में देवसेना समूह की महिलाओं ने स्थापित किया। महिलाएं 10 मिनट में बिना नग वाले लाख की चूड़ी सेट और डेढ़ घंटे में नग वाली चूड़ी सेट तैयार कर लेती हैं। चूड़ी बनाने के लिये लाख अभी भी उन्हें व्यापारियों से ही खरीदना पड़ रहा है। लेकिन इनकी योजना है कि वे खुद ही गांव के लोगों से लाख खरीदेंगी और उसकी प्रोसेसिंग भी करेंगी, जिससे उन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा और बिचैलियों से भी मुक्ति मिलेगी।

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