बिलासपुर। मरवाही वन मंडल के नेचर कैंप में फर्जी वन प्रबंधन समिति गठित कर 42 लाख रुपए का घोटाला करने के आरोप में 3 डिप्टी रेंजर निलंबित कर दिए गए हैं। एक वनरक्षक को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

मालूम हो कि नेचर कैंप गंगनई में एक फर्जी वन प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गंगनई के नाम से बनाया गया। इसके नाम से करीब 42 लाख रुपए निकालकर अधिकारी कर्मचारियों ने आपस में बांट लिया। इसकी शिकायत वन प्रबंधन समिति साल्हे कोटा के अध्यक्ष ने वन विभाग के अफसरों और पुलिस से की थी। सीसीएफ के निर्देश पर डीएफओ कुमार निशांत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था। इसकी रिपोर्ट के बाद बीट गार्ड सुनील चौधरी को सबसे पहले निलंबित किया गया। इसके बाद अब डिप्टी रेंजर अश्वनी दुबे, इंद्रजीत सिंह कंवर और द्वारिका रजक को निलंबित कर दिया गया है।

प्रकरण में तत्कालीन एसडीओ और प्रभारी डीएफओ संजय त्रिपाठी, रेंजर दरोगा सिंह, फर्जी समिति के अध्यक्ष मूलचंद कोटे और एचडीएफसी के तत्कालीन बैंक मैनेजर पर कार्रवाई नहीं की गई है। वन विभाग के अफसरों पर शासन स्तर पर कार्रवाई बाद में होने की बात  कही जा रही है। हालांकि जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद भी वन विभाग ने अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है।

इधर वन कर्मचारी संघ के प्रांतीय संयुक्त सचिव जितेंद्र साहू ने कहा है कि करोड़ों के भ्रष्टाचार में हर बार सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाती है। वनरक्षक और डिप्टी रेंजर का निलंबन सही है, तो क्या अधिकारी निर्दोष हैं? संगठन इस मामले में शीघ्र वन मंत्री से मिलेगा और एसआईटी से निष्पक्ष जांच की मांग करेगा।

यह भी कहा जा रहा है कि एक मार्च को शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में यह मुद्दा उड़ाया जा सकता है, इसलिए यह कार्रवाई दिखाई गई है।

 

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